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दिग्वर्गः ३] मणिप्रभा-भाषाटीकासहितः।
१ स्फूर्जथुर्वजनि?षणे, २ मेघज्योतिरिरम्मदः । ३ इन्द्रायुधं शक्रधनुस्तदेव ऋजुरोहितम् ॥ १० ॥ ४ वृष्टिर्ष ५ तद्विधातेऽवग्राहावग्रही समौ । ६ धारासम्पात आसारः ७ सीकरोऽम्बुकणाः स्मृताः ॥११॥ ८ वर्षोपलस्तु करका ९ मेघच्छन्नेऽह्नि दिनम् । १० अन्तर्धा व्यवधा पुंसि, स्वन्तधिरपवारणम् ॥ १२॥
। स्फूर्जथुः, वननिर्घोषः ( + वज्रनिष्पेषः । २ पु ), 'बिजली गिरने के समयकी आवाज' के २ नाम हैं।
२ मेघज्योतिः ( = मेघज्योति, मेघज्योतिः = मेघज्योतिष ), इरंमदः (२ पु०), 'बादलके प्रकाश के २ नाम हैं। (यह प्रकाशप्रायः प्रातःकाल या सायंकाल बादल के लाल-पीला होने से होता है)
३ इन्द्रायुधम्, शक्रधनुः ( = शक्रधनुष), ऋजुरोहितम् (३ न) 'इन्द्र धनष' के नाम हैं।(म. पहलेवाले दो शब्द पहले अर्थ और 'रोहितम्' यह एक शब्द 'सीधा इन्द्रधनुष' इस भर्थ में है)।
४ वृष्टिः (स्त्री), वर्षम् (न) 'वर्षा' के २ नाम हैं ॥ ५ अवग्रहः, अवमाहः (२ पु), 'वर्षाके न होने' अर्थात् 'सूखा पड़ने'
६ धारासम्पातः, भासारः (२ पु), 'लगातार जोरसे वर्षा होने' के १ नाम हैं।
७ सीकरः (पु। + शीकरः) 'पानीके कण' अर्थात 'पानी की छोटीछोटी बृदो' का नाम है ॥
८ वर्षोपल: (पु), करका (पुस्खी), 'बनौरी, भोला' के २ नाम हैं। (जो पानी बादलसे भी ऊँचे स्थान में जाकर बर्फ के समान कड़ा और सफेद होकर पानी के साथ गिरता है, जिसे पत्थर पड़ना कहते हैं ।)
९ दुर्दिनम् (न), 'जब आकाशमें लगातार बादल घिरे रहें, ऐसे समय का एक नाम है ॥
.. अन्तर्धा, व्यवधा (२ सी), अन्तधिः (पु), अपवारणम्, अपिधा
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