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नानार्थवर्गः ३ } मणिप्रभाख्यासहितः ।
१ शूदायां विप्रतनये शो' पारशवो मतः। : ला मभदे क्लीबं तु निश्चिते शाश्वते त्रिषु ।। २११ ॥ • स्यो शातावात्मन्नि बिध्यात्मीये स्वोऽस्त्रियां धने। ४ स्त्रीकटीवस्त्रबन्धेऽपिनीवी परिपणेऽपि च ।। १२ ।। ५ शिवा गौरीफेरया ६ ईन्द्वं कलयुग्मयोः । ॐ द्रव्यासुब्यवसाधु सत्यमस्त्री तु जन्तुषु ।। २१३ ।।
नारश:'( + पाराश ) शूद बातिफी माता में ब्राह्मग जाति के पितासेना सन्ता, परशु ( फरसा, कुरुहाही) अस्त्र, २ अर्थ हैं ॥
२ 'ध्रुवः' (पु) ध्रुव ताग, बह, बसु, योग भेद, शिवनी, शङ्क, कोल, ७ अर्थ; 'भ्रूवम्' (न) का निश्चित (जैसे-ध्रुवं मूोऽयम् ,...........), 1 अर्थ और 'ध्रवम्' (त्रि ) के निरन्तर (जैसे-जातस्य हि ध्रवो मृत्युर्धवं जन्म मृतस्य च (गाता २ । २७), "...'). तर्फ, भाफाश, ३ अर्थ है ॥
३ 'स्वः' (पृ) के ज्ञानी (जाति, जैसे-टामुकानीव भान्ति 'स्वाः, ...... ) आत्मा (जैसे- हृदि स्वमवलोकयन् ,..... ), २ अर्थ; 'स्वम्' (त्रि) का बास्मीय, १ अर्थ और 'स्वः' (पुन ) का धन, १ अर्थ है । { 'इस 'स्व' शब्द ज्ञाति और धन अर्थमें 'राम' शब्दकी तरह और आरमा और शारमीय अर्थमें 'म' शब्दकी नाह होते हैं)
४ नीवी' ( + नाविः । स्त्री) के फुफुती (स्त्रियों के नाभिके नीचे वाली वस्त्र निध) गजपुत्रादिक धन का अदल-बदल पनियों का मूलधन, ३ अर्थ हैं।
५ शिवा' (स्त्री) के पार्वतीजी, सियारिन, स्यार, शमी वृक्ष, आँवला, भंई आँपला ओषधि, ६ अर्थ है ॥
'द्वन्द्वम्' (न । + पु) के लड़ाई, जाली (युग्म, युगल), रहस्य, ३ अर्थ हैं ॥
७ सत्त्वम्' ( न ) के वस्तु, प्राण, अधिक पराक्रम होना, ३ अर्थ और 'सत्त्वम्' ( न पु) का प्राणी १ अर्थ है ॥
१. 'पाराशवः पुमान्' इति पाठान्तरम् । २. 'नीविः' इति पाठान्तरम् ।
३. आस्मात्मीयार्थयोः स्वशब्दः 'स्वमशातिधनाख्यायाम्' (पा० स० १२३५) इति सर्व नामसंज्ञकरतेन 'सर्व'वद्रूपम् । शातिषनार्थयोस्तु सर्वनामसंशामावाद रामशब्दवद्रूपमित्यवधेयम्
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