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अमरकोषः।
[ तृतीयकाप्डे
-१ जन्महरी भवो ॥२.६ ।। २ मन्त्री सहायः सचिचौ ३ पतिशाविना धवाः । ४ अवयः शैल मेषा ५ आशाऽऽह्वानाध्वरा हवाः ॥ २०७।।
भावः 'सत्तास्वभावाभिमायचेष्टात्मजन्मनु । ७ स्यादुत्पादे फले पुष्पे असो नर्ममोचने ।। २०८।। ८ अविश्वासेऽपह्नवेऽपि निकृतापि निह्नवः । ९ उत्तेकामर्षयादिच्छाप्रलरे मह उत्पत्रः ।०९।। १० अनुभावः प्रभावे च सतां च प्रतिनिश्चये। ११ स्याजन्महेतुः प्रभवः स्थानं चायापलब्धये ।। २१०॥
'भवः' (पु) के जन्म लेना, शिवजी, प्रावि, सत्ता, संसार, कल्याण, ६ अर्थ हैं॥ ___ २ 'सचिवः' (पु) मन्त्री (बुद्ध-सचिव), सहायक (कमसचिव), १ अर्थ हैं।
३ 'धवः' (पु ) के पति, धन का पेड़, नर, धून, ४ अर्थ हैं । ४ 'अवि.' (बु) के पहाड़, भदा, सूर्य, नाय ( स्वामी ), ४ अर्थ हैं । ५ 'हवः' (पु) के आज्ञा, पुकारना, यज्ञ ३ अर्थ हैं ।।
६ 'भाव' (पु) के सत्ता, स्वभाव, अभिप्राय, चेष्टा, आत्मा, जन्म, वस्तु, किया, लीला, विभूति, पात, जन्तु, रतिवेग, १३ अर्थ हैं ।।
७ 'प्रसवः' (पु) के उत्पत्ति, फल, फूल, गर्भसे पैदा होना, सन्तान, ५ अर्थ हैं।। ८ निङ्गवः (१) के अविश्वास, व्यर्थ बोलना (बकना), शठता, ३ अर्थ हैं।
९ 'उत्सव' (पु) उन्नति, क्रोध, इच्छाका वेग, आनन्दका अवसर (विवाह आदि उत्सव ), ४ अर्थ हैं ।
१. 'अनुभावः' (पु) प्रभाव, सजनोंके ज्ञान का निर्णय, भाव-सूचन, ३ अर्थ हैं।
१. 'प्रभवः' (पु) के जन्मकारण ( जैसे--पुनादिका जन्म र मातापिता,......), प्रथम उपलब्धिका स्थान (जैसे-'गङ्गाप्रमवा हिमवानु'भर्थात गङ्गाके प्रथमोपलब्धिका स्थान हिमालय है,..........),२ अर्थ हैं ।
१. 'स्वस्वस्वभावामिप्रायचेष्टात्मजन्मस' इति पाठान्तरम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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