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नानार्थवर्गः ३] पणिप्रभारुयाख्यासहितः ।
१ वन्धुरं सुन्दरे नम्र २ गिरिगेंन्दुकशैलयोः (७६) ३चरुः स्थाल्यां हविःपत्ता ४ बधीर कातरे चले'(55)
इति रान्ताः शब्दाः।
अथ हान्ताः शब्दाः । ५ चूडा किरीटं केशाश्व संयता मौलयस्त्रयः ॥ १९३ ।। ६ द्रुमप्रभेदमातङ्गकाण्डपुष्पाणि पीलवः । ७ कृतान्तानेहसोः काल ८ श्चतुर्थेऽपि युगे कलिः ॥ १९४ ।। ९ स्यात्कुरोऽपि कमलः १० प्रावारेऽपि च कम्बलः ।
१ [ 'बन्धुरम्' (त्रि) सुन्दर, नम्र, २ अर्थ हैं ] ॥
२ ['गिरिः' (पु) के गेंदा, पहाड, बाँखका रोग-विशेष, ३ अर्थ और गिरिः' (त्रि) का पूज्य, । अर्थ है ] ॥
३ ['चहः' (पु) के पटलोही, हविष्यका पाक, २ अर्थ है ] ॥ ४ [ 'मधीरः' (त्रि) के कातर, अधीर (चक अर्थात् धैर्यहीन र अर्थ हैं] ॥
इति रान्ताः शब्दाः।
अथ लान्ताः शब्दाः । ५ 'मौलिः' (पुत्री) के चूरा, मुकुट, बँधा हुभा केश (बाल), ३ अर्थ हैं ।
६ 'पीलु' (पु) के अन्चरोटका पेड़, हाथी, बाण, ३ अर्थ और 'पीलु' (न) का अखरोटका फल तथा फूल, २ अर्थ हैं ।
• 'काल' (पु) के यमराज, समय, मृत्यु, काला, ४ अर्थ हैं।
८ 'कलिः ' (पु) के कलियुग, लड़ाई झगड़ा, २ अर्थ और 'काल' (स्त्री) का फूलकी कळी ( कोंडी), १ अर्थ है ॥
९ 'कमल' (पु)का मृग-विशेष, , अर्थ और 'कमलम् (न) के कमल का फूल, पानी, तांषा, आकाश, औषध, ५ अर्थ हैं ।
१. 'कम्बलः' (पु) का दुपट्टा (चादर), हाथी, सास्ना (गाय पा बैल के गले में खटकता हुभा चमड़ा, लोर), कीड़ा (कृमि), ४ अर्थ और 'कम्ब. लम् (न)का पानी, कम्बल, २ अर्थ हैं।
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