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नानार्थवर्गः ३] मणिप्रभाव्याख्यासहितः ।
१ शारे करीरोऽत्री तकभेदे घटे च ना। २ना चमूजघने हन्तसुञ प्रतसरोऽस्त्रियाम् ।। १७४ ।। ३ यमानिलेन्द्रचन्द्राकविष्णुसिंहांशुवाजिषु
शुकाहिकपिभेकेषु हारर्ना कपिले त्रिषु ॥ १७५ ।। ४शश कर्पगंशेऽपि ५ यामा स्याद्यापन गतो। ६ हा भूवाक्सुरामात् तन्द्रा निद्राशमीलयोः ॥ १७६ ।। ८ धामी स्यादुपमातापि क्षितिरप्यामलक्यपि । ९ नुना व्यङ्गा नटी वेश्या सरघा कण्टकारिका १७७ ।।
'करी.' (पु न ) का बाँसका को पड़ (अङ्कुर ), १ अर्थ और 'करीरः' (पु) के करील पेड़ ( इसमें पत्ते नहीं होते हैं ), घड़ा, २ अर्थ हैं ।
प्रतिसर.' () के सेना का पिछला हिस्सा, मन्त्र-भेद, माला, कङ्कण, ४ अर्थ; 'प्रतिलर:' (पु न) के माल, विवाह काल में हाथ बँधा हुआ कङ्कण (माङ्गलिक सूत्र-विशेष) या राखी, २ अर्थ और 'प्रतिसरः' (बि) का नियोज्य (भृत्यादि), अर्थ है ॥
३ 'हरिः' (पु) यमराज, वायु, इन्द्र, चन्द्रमा, सूर्य, विष्णु, सिंह, किरण, घोड़ा, तोता (सुग्गा ) साँप, वानर, मण्डूक ( मेढ़क), लोकान्तर (परलोक), १४ अर्थ और 'हरिः' (त्रि) के हरा रंग, कपिल रंग, २ अर्थ हैं। ___४ 'शर्करा (स्त्री) छोटे २ कण या झिकटा, शक्कर, रोग विशेष, टुकड़ा, ४ अर्थ हैं।
५ यात्रा' (बी) के समय बिताना ( + भोजनादि विधान, जैसेप्राणयात्रा,......' ), चलना, देव-दर्शन आदि करना, ३ अर्थ हैं ॥
'इरा' (स्त्री) के पृथ्वी, बात ( वचन ), मदिरा, जळ, ४ अर्थ हैं ।
७ 'तन्द्रा' ( + तन्द्री। बी) नींद, श्रमादिसे इन्द्रियों का अपनेअपने काम में शिथिल होना, २ अर्थ हैं।
८ 'धात्री' (सी) के धाई, पृथ्वी, आँवला, माता ४ अर्थ हैं । ९ 'क्षुद्रा' (स्त्री) के किसी भले हीन बी, नटी, वेश्या, मधुमक्खी,
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१. 'तन्द्री' इति पाठान्तरम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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