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अमरकोषः
[वतीयकाण्डेत्रिषु करेग्धमेऽल्पेऽपि क्षुद्रं १ मात्रा परिच्छदे ।
अल्पे च परिमाणे ला मात्र कारस्येऽवधारणे ॥ १७८ ॥ २ मालेख्याधर्ययोश्चित्रं ३ कलत्रं श्रोणिभार्ययोः। ४ योग्यभाजनयोः पात्रं ५ पत्रं वाहनपक्षयोः ॥ १७९ ।। ६ निदेशप्रन्ययोः शास्त्रं शलमायुधलोहयोः । ८ स्याजटाशुकयोनं ९ क्षेत्रं पत्नीशरीरयोः ।। १८० ।। १० मुखाग्रे कोडहलयोः पोनंभटकटैया ( रेंगनी), ५ अर्थ और 'क्षुद्र.' (वि) क्रूर, ग (निधन), मोच, ३ अर्थ हैं।
, 'मात्रा' (सी) परिक्छा या सामग्री ( जैसे-महामात्रः,... ), थोड़ा, परिमाण, अकरके अवयव (इकार, ईकार, उकार,..),कामका भूषण विशेष, ५ अर्थ और 'मात्रम्' (न) साकस्य (जैसे-हस्तमानं वस्त्रम्,.. ), अवधारण (केवल, जैसे-पयोमानमन्ति,... ), २ अर्थ हैं।
२ "चित्रम्' (न) के फोटो (तस्वीर ), भा, चितकावर, ३ अर्थ हैं। ३ 'कलत्रम्' (न ) कमर, सी, २ अर्थ हैं।
" 'पात्रम् (न) के योग्य (जैसे-पात्रे दानं कर्तब्यम,..),वर्तन, दो तटो. का बीच, सुवा-रु मादिराजमंत्री, पत्ता,नाटक करनेवाला (एक्टर), . हैं॥
५ 'पत्रम् (न) वाहन (घोड़ा, हाथी, उँट मादि सवारी), पङ्क, पत्ता, बाण, पक्षी, ५ अर्थ हैं।
'शास्त्रम्' (म) के मादेश, व्याकरण भादि ६ शाम, . अर्थ हैं। ७ 'शस्त्रम्' (न) के हथियार, लोहा, २ अर्थ हैं॥ ८ 'नेत्रम्' (न) की खोर (जब), वन, मथनीकी रस्सी,खि, अर्थ हैं। ९ 'क्षेत्रम्' (न ) के बी, शरीर', खेत, सिद्ध मुनि आदिका स्थान अर्थ हैं।
१० 'पोत्रम्' (न) सूअरका मुस, इसका मुख ( अगला भाग), रूः भर्थ हैं। १. तदुक्तं भगवता श्रीकृष्णेनार्जुनं प्रति
'दं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते । गीता १३१॥
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