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नानार्थवर्गः ३] मणिप्रभाव्याख्यासहितः।
४७३ १ त्रिषु श्यामौ हरिकृष्णौ श्यामा स्याच्छारिया निशा ॥ १३ ॥ २ ललामं पुच्छपुण्ड्राश्वभूषाप्राधान्यकेतुषु । ३ सूक्ष्ममध्यात्ममप्याये ५ प्रधाने प्रथमस्त्रिषु ॥ १४॥ ५ वामौ वल्गुप्रतीपौ ६ द्वाघधमौ न्यूनकुत्सिती। ७ जीर्ण च परिभुक्तं च यातयाममिदं द्वयम् ॥१४५ ॥ ८ 'भ्रमो मूर्छा तक्षभाण्डमजिराम्बुविनिर्गमः (६५) ९ ध्यामौ धूम्रास्फुटौ
'श्यामः' (त्रि) के हरित् (नीला रंग) वाला, काला रंगवाला, २ अर्थ 'श्यामः' (पु)के काला रंग, नीला रंग, प्रयागका अक्षयवट' नामक वटवृक्ष, मेध, वृद्धदारक ( औषध-विशेष), पिक, ६ अर्थ; 'श्यामा (स्त्री) के शारिवा (सरिवन ) नामक ओषधि, रात, सोमलता, गुन्द्रा, यमुना, तिधारा ओषधि, सोलह वर्षकी स्त्री, बिना बच्चा पैदा की हुई बी, ८ अर्थ और 'श्यामम्' (न) के मिर्च, समुद्री नमक, २ अर्थ हैं ।
२ 'लालामम्' ( + ललाम = ललामन् । न) के पूंछ, घोड़ा आदिके ललाटका चित्र (चिह्न-विशेष ), घोड़ा, घोड़ेका गहना, पताका, प्रधान, शृङ्ग, रमणीय, प्रभाव, १० अर्थ हैं ।
३ 'सूक्ष्मम्' (न) के अध्यात्म, कपट, २ अर्थ; 'सूक्ष्मः ' (पु) का अग्नि, १ अर्थ और 'सूक्ष्मः ' (त्रि) का अत्यन्त महीन या छोटा, । अर्थ है ॥
४ 'प्रथमः' (त्रि) के पहला, प्रधान, २ अर्थ है ॥ ५ 'वामः' (त्रि) के सुन्दर, प्रतिकूल, शिवजी, पयोधर, बायां, शत्रु, अर्थ हैं॥ ६ 'अधमः' (त्रि ) के थोड़ा, नीच ( निन्दित), अर्थ हैं ॥
७ 'यातयामम' (त्रि) के पुराना, उपभोग किया हुआ (जूठा या बासी), २ अर्थ हैं।
'भ्रमः' (पु) के मूर्छा (बेहोशी), तक्षभाण्ड, जलका निगम, ३ अर्थ हैं ] ॥ ___९ 'ध्यामः' (पु) के धुओं, अस्पष्ट, १ अर्थ हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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