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नानार्थवर्ग:३] मणिप्रभाव्याख्यासहितः।
४२६ १ पुष्परेणी च किअल्क: २शुल्कोऽस्त्री स्त्रीधनेऽपि च (२९) ३ स्यात्कल्लोलेऽप्युत्कन्निका ४ वार्द्धकं भाववन्दयोः (३०) ५ करिण्यां चापि गणिका ६ दारको बालभेदको (३१) ७ अन्धेऽप्यनेडमूकः स्या ८ दृकौ वर्षाश्मदारणौ ( ३२) ९ मृद्भाण्डेऽप्युष्ट्रिका १० मन्थे खजको रसदर्वके' (३३)
इति कान्ताः शब्दाः ।
अथ खान्ताः शब्दाः। ११ मयूस्खस्विटकरज्वाला १२ स्वलिवाणौ शिलीमुनो। १३ शङ्को निधो ललाटास्थिन कम्बो न स्त्री
['किञ्जल्क: (नि) के फूलका पराग, कमल कसर, २ अर्थ हैं ] ॥
['शुल्क.' (पुन) के स्नीका धन, रुपया (महसूल, कर, फीस आदि), १ अर्थ हैं] ॥
[ 'उत्कलिका' (स्त्री) के नदी आदिकी तरङ्ग, हँसी मजाक, सरकण्ठा, ३ अर्थ हैं ] ॥
४ ['वार्द्धकम्' (त्रि ) के बुढ़ापा, बूदों का समूह, २ अर्थ हैं ] ॥ ५ [ 'गणिका' (बी) के हथिनी, वेश्या, १ अर्थ हैं ] ॥ ६ ['दारकः' (पु) के लवका, भेद करनेवाला, १ अर्थ हैं] ॥
७ ['अनेडमूकः' (पु) के अन्धा, मूर्ख ( कहने सुनने में अशिक्षित ), शठ, ३ अर्थ हैं ]
८ [ 'टङ्कः' (पु) के दर्प, पत्थरको चीरनेवाली टॉकी, १ अर्थ हैं ] ॥ ९ ['उष्ट्रिका' (लो) के मिट्टी का मद्य भाण्ड विशेष, ऊटियो, २ अर्थ हैं ] ॥ 1. ['खज' (पु) के मथनीका डण्डा, कलछुल, युद्ध, ३ अर्थ हैं ] ॥
इति कान्ताः शब्दाः।
अथ खान्ताः शब्दाः। " 'मयूखः' (पु) के शोभा, किरण, ज्वाला, ३ अर्थ हैं । १२ शिलीमुखः' (पु) के भौंरा, बाण, २ अर्थ हैं।
" 'शङ्ख' (पु) के निधि ( खजाना-विशेष), ललाउकी हड्डी, २ अर्थ और 'श' (पुन)का शङ्क, १ अर्थ है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org