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संकीर्णवर्गः २]
मणिप्रभाव्याख्या सहितः ।
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१ जवने जूतिः २ सातिस्त्ववसाने स्या३दथ ज्वरे जूर्तिः ॥ ३८ ॥
पशुप्रेरण५मकरणिरित्यादयः
शापे ।
वृन्दमित्यौपगवकादिकम् ॥ ३८ ॥
४ उद्जस्तु ६ गोत्रान्तेभ्यस्तस्य
७ आपूपिकं
शाकुलिकमेवमाद्यमचेतसाम् |
८ माणवानां तु माणव्यं ६ सहायानां सहायता ॥ ४० ॥ हल्या दलानां ११ ब्राह्मण्यवाडव्ये तु द्विजन्मनाम् । १२ द्वे पर्शुकानां पृष्ठानां पार्श्व पृष्ठयमनुक्रमात् ॥ ४१ ॥
१ जवनम् ( न ), जूतिः (स्त्री), 'वेग' के १ नाम हैं ॥
२ सातिः (स्त्री), अवसानम् (न), 'समाप्ति, अन्त' के २ नाम हैं ॥ ३ ज्वरः ( पु ), जूर्तिः (स्त्री), 'ज्वर, बुखार' के २ नाम हैं ।
४ उजः (पु), पशुप्रेरणम् ( भा० दी०, न ), पशुओंको हाँकने ललकारने या किसी तरह प्रेरणा करने' के २ नाम हैं ॥
५ अकरणि: ( स्त्री ), आदि ( ' आदि से अजननिः, स्त्री; अवग्राहः, निग्राहः २पु, ), 'शाप देने' का १ नाम है ॥
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६ औपगवकम् (न), आदि ( 'आदि से गार्गकम्, दाचकम्, 'औपगव 'उपगु' के गोत्र में उत्पन्न आदि' ( आदिले 'गार्ग्य,
२ न
दाचि ) के समूह' का १ नाम है ॥
७ आपूपिकम् शाकुलिकम् ( २ न ), आदि ( आदिले 'सातुकम्
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चाणकम् २ न '), 'पूआ, पुड़ी आदि ( आदि से 'सत्तू, चना"") के समूह (ढेरी )' का १–१ नाम है ॥
८ माणव्यम् ( न ), 'लड़कों के झुण्ड' का १ नाम है ॥ ९ सहायता ( स्त्रो ), 'सहायोंके झुण्ड' का १ नाम है ॥
१० क्या (श्री), 'इलोके समूह' का १ नाम है ॥
११ ब्राह्मण्यम्, वाढव्यम् ( २ न ). 'ब्राह्मणों के झुण्ड' के २ नाम हैं ॥ १२ पार्श्वम्, पृष्ठयम् (२ न ), 'पशुओं ( पँजदीकी हड्डियों ) और पीठोंके समूह' का क्रमशः १–१ नाम है । ( इन दोनों का यज्ञमें स्मरण होता है अत एव ये दोनों यज्ञ-विषयक हैं' ) ।
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