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विशेष्यनिम्नवर्गः1 ] मणिप्रमाव्याख्यासहितः ।
३७३ १ स्वतन्त्रोपावृतः स्वैरी स्वच्छन्दो निरवग्रहः ॥ १५॥ २ परतन्त्रः पराधीनः परवान्नाथवानपि । ३ अधोनो निघ्न आयत्तोऽस्वच्छन्दो गृह्यकोऽप्यसौ ॥ १६॥ . खलपूः स्थानहुकरो ५ दीर्घसूत्रविरक्रियः । .६ जालमोऽसमीक्ष्यकारी स्यात् ७ कुण्ठो मन्दः क्रियासु यः ॥ १७॥
८ कर्मक्षमोऽलकर्मीणः ९ क्रियावान् कर्मसूद्यतः। १० स कामः कर्मशीलो यः
स्वतन्त्रः, अपांवृतः, स्वैरी ( = स्वैरिन् । स्वैरः) स्वच्छन्दा, निरष. प्रहः (+ नियन्त्रण, निराशा, स्वाधीनः, यथाकमी = यथाकामिन् । ५ त्रि), 'स्वतन्त्र' के ५ नाम हैं।
. परतन्त्रः, पराधीनः, परवान् ( = परवत्), नाथवान् (= नाथवत् । ४ त्रि), 'पराधीन' के नाम हैं ।
अधीनः, निधनः, भायत्तः, अस्वच्छन्दा, गृहका(५ त्रि), 'वश' अधीन' के ५ नाम हैं । ('एक भाचार्य के मतसे 'परतन्त्रा....." ९ नाम 'पराधीन'
४ खलपूः बहुकः (त्रि), 'स्खलिहान या जमीनको साफ करने. वाले' के २ नाम हैं। __ ५ दीर्घसूत्रः ( + दीर्घसूत्री = दीर्घसूनिन् ), विरक्रियः (त्रि), 'दीर्ष. सूत्री' अर्थात् 'कामे में बहुत देर लगानेवाले, के २ नाम हैं।
जामः, असमीचय कारी ( = असमीचयकारिन् । १ पु), 'विना वि. चारे काम करनेवाले' के नाम हैं ॥
७ कुण्ठः (वि), 'थोड़ा काम करनेवाले' अर्थात् 'काम करने में मद' का नाम है।
८ कर्मचमा, महकर्मीगः (२ त्रि), 'काम करने में समर्थ के नाम हैं।
९ क्रियावान् (क्रियावत् । त्रि), 'काम में लगे या तैयार रहनेवाले' का । नाम है ॥
० कामः, कर्मशीलः, (२ त्रि), महे• के मतसे 'सर्वदा काममें लगे रहनेवाले के और मा० दो. के मत से 'विना फनको इच्छा किये काम करनेवाले के नाम हैं ।
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