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अमरकोषः। [हितीयकाडे
-१ लेयेनालिकारिका (३२) २ जतुत्रविकारे तु जातुषं त्रापुषं त्रिषु' (३३) ३ पिटकः पेटकः 'पेटा मञ्जुषाऽऽथ 'विहक्षिका ।। २९ ।।
भारयटि५स्तदालम्बि शिक्यं काचोऽथ पादुका ।
पादूरुपानतस्त्री ७ सैवानुपदीना पदायता ।। ३० ॥ ८ नधी वधी वरचा स्याऽदवादेस्ताडनी कशा। १२ चाण्डालिका तु कण्डोलवीणा चण्डालवल्लकी। ३१ ।।
. [ अञ्जलि कारिका (बी), 'लेप्यमयी पुतली' का । नाम है ] ॥
२ जातुषम् , त्रापुषम् (२ त्रि ), 'लोह और राँगेकी पुतली' का क्रमशः १-१ नाम है ॥
३ पिटका, पेटकः (२ पु ), पेटा (+पेडा मुकु०, पीडा की. स्वा० ), मम्जूषा ( २ स्त्री), पेटी, मँपोली, बक्स आदि' के नाम हैं। 'क्षी. स्वा० के मत से पहलेवाले २ नाम 'छोटी झाँपी' के और अन्त वाले २ नाम 'बड़े झाँपी, बक्स आदि' के हैं)॥
४ विहजिका (+विहङ्गमा), भारयष्टिः ( २ स्त्री), 'बहँगीके डण्डे के माम हैं।
५ शिक्यम् (न) काचः (पु), 'बहँगीके डण्डे में लटकते हुए सिकहर' के २ नाम हैं।
६ पादुका, पादूः, उपानत् (= उपानह । + पादत्राणम् । स्त्री), 'जूता खड़ाऊँ, बूट, सिलेपड़, चटकी आदि के ३ नाम हैं ।
७ अनुपदीना (बी) 'पैताबा या पूरे पैरके जूते (वूर)का नाम हैं। ८ नधी, ध्र', वरना (३ वी), 'चमड़ेकी रस्सी ' के ३ नाम हैं । ९ कशा (स्त्री) 'कोड़ा या चाबुक' का १ नाम॥
१. चाण्डालिका (+ अण्डालिका), कण्डोलवीणा ( + कण्टोलवीणा, कण्डोली), चण्डालवलकी (३ स्वी), 'चण्डाल आदि नीचोके किंगरी नामक बाजा' के । नामक हैं।
२. 'पाडा' इति 'पेडा' इति च क्रमशः क्षी० स्वा. मुकु० संमतं पाठान्तरम् ।। २. 'विहामा' इति मुकुटसंग्रतं पाठान्तरम् ॥ ३. 'कण्टोलवीणा' इति पाठान्तरम् ॥
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