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वैश्यवर्गः ९ ]
मणिप्रभाव्याख्या सहितः ।
- १ धेनुः स्यान्नवसूतिका । सुबसंदोह्या ३ पीनोनी पीवरस्तनी ॥ ७१ ॥
२ सुव्रता ४ द्रोणक्षीरा द्रोणदुग्धा ५ धेनुष्या बन्धके स्थिता । ६ समांसमीना सा यैव प्रतिवर्ष प्रसूयते ॥ ७२ ॥
७ ऊधस्तु क्लीबमापीनं ८ समां शिवककीलकौ ।
न पुंलि दाम संदानं १० पशुरज्जुस्तु' दामनी ॥ ७३ ॥
१ धेनुः, नवसूतिका ( + नवसूतिः । २ स्त्री ), 'थोड़े दिनोंकी व्याई हुई गाय' के २ नाम हैं ॥
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२ सुवता, सुखसंदोह्या ( + सुखसंदुद्या । २ स्त्री), 'बिना झंझट किये दूही जानेवाली गाय' के २ नाम हैं । ( 'इसी तरह 'दुःखदोह्या, करटा (स्त्री), 'दुःख ( मुश्किल ) से दूद्द जानेवाली गाय' के २ नाम है' ) | ३ पीनोनी, पीवरस्तनी (२ स्त्री ), 'मोटे २ स्तनघाली गाय' २ नाम हैं ॥
४ द्रोणक्षीरा, द्रोणदुग्धा (२ स्त्री), 'एक द्रोण (२५६ पत्र = १०२४ भर करीब १३ सेर तथा आयुर्वेदिक तौल से १६ सेर ) दूध देनेवाली गाय के २ नाम है ॥
५ धेनुष्या ( + पीतदुग्धा । स्त्री), 'बंधक रक्खी हुई गाय' का १ नाम है ॥ ६ समसमीना ( स्त्री ), 'घनपुरही' (प्रतिवर्ष बच्चा देनेवाली ) गाय' का १ नाम है ॥
नाम हैं ॥
१
नाम
७ ऊधः (= ऊधस्), आपीनम् ( २ न ), 'गायके थन' के ८ शिवकः, कीलकः ( २ पु ), गौओोंको बांधने के खूंटे' के ९ दाम ( = दामन् न स्त्री ), संदानम् ( न ), भा० दी० के मत से 'नोय' अर्थात् 'दूहने के समय गायोंके पैरको बांधनेवाली रस्सी' के और महे० के मत से 'पगहा' के २ नाम हैं ॥
१० पशुरज्जुः, दामनी ( + बन्धनी । २ स्त्री ), भा० दी० के मत से 'पगहा' अर्थात् 'पशुको बांधनेको रस्सी के और महे० के मत से 'देवरी' अर्थात् 'धान आदिकी दवनीके समय अनेक पशुओंको बांधनेवाली रस्सी - जिसका एक छोर मेंह में लगे रहने से चारो ओर घूमा करता है'- के और अन्य आधायके मतसे 'पशुओंके छान' अर्थात् 'पैर बांधने की रस्सी' के २ नाम हैं ।
१. 'कधनी' इति पाठान्तरम् ॥
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है ॥
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