________________
२७४
अमरकोषः। [द्वितीयकाण्डे-१ संस्था तु मर्यादा धारणा स्थितिः । १ आगोऽपराधो मन्तुश्च ३ समे तूदानबन्धने ।। २६ ॥
द्विपाधो द्विगुणो दण्डो ५ भागधेयः करो बलिः । ६ घट्टादिदेयं शुल्कोऽस्त्री ७ प्राभृतं तु प्रदेशनम् ॥ २७॥ ८ उपायनमुपग्राह्यमुपहारस्तथोपदा । ९ 'योतकादि तु यद्देयं सुदायो हरणं च तत् ।। २८॥ १० तत्कालस्तु तदात्वं स्यार१दुत्तरः काल आयतिः। । संस्था, मर्यादा, धारणा, स्थितिः ( ४ स्त्री ), 'उचित मार्गपर रहने'
२ आगः ( = भागस न ), अपराधः, मन्तुः (२ पु ), 'अपराध, कसूर' के ३ नाम हैं।
३ सदानम् , बन्धनम् ( २ न ), 'बाँधने या कैद करने के २ नाम हैं । ४ द्विपाधः (पु), 'दुगुने दण्ड' का १ नाम है ॥ ५ भागधेयः, करः, बोलः ( ३ पु ) 'कर मालगुजारी' के २ नाम हैं ।
६ शुल्कः (पुन ), 'घाट जाल और नदी आदिकी आमदनीसे दिये जानेवाले राज-भाग (टेकम)' का । नाम है ॥
- ७ प्राभृतम् , प्रदेश नम् (२ न ), 'मित्रादिको खुश करने के लिये दिये जानेवाले पदार्थ' के २ नाम है ॥
८ उपाय नम , उपग्राह्यम् (२ न), उपहारः (पु), उपदा (स्त्री), भा० दी० मतसे 'गजाको दिये जानेवाले भेट, नजराना' के ४ नाम हैं। प्राभृतम् ,........ 'देवता, राजा, मित्रादिको खुश करने के लिये दिये जानेवाले भेट' के ६ नाम हैं ॥
९ यौतकम् ( + यौतुदम् । न ), सुदायः (पु) हरणम् ( न ), 'यत्रो. पवीत आदिमें दी हुई भिक्षा या दामादको दिये जानेवाले दहेज' के ३ नाम हैं।
१. तरकालः (पु), तदावम् (न), 'वर्तमान काल, वीतते हुए समय' के २ नाम है ॥
"आयति: (). 'आनेवाले समय, भविष्यत्काल' का । नाम है । १. 'यौत कादि' इति पाठान्तरम् ।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org