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अमरकोषः। द्वितीयकाण्डे
-१ क्षत्रियी तथा । २ उपाध्यायान्युपाध्यायी ३ पोटा स्त्रीपुसलक्षणा ।। १५॥ ४ वीरपत्नी वीरभार्या ५ वीरमाता तु वीरसूः। ६ जातापत्या प्रजाता च प्रसूता च प्रसूतिका ॥१६॥ ७ स्त्री नग्निका 'कोटवी स्याद् ८ दूतीसंचारिके समे। ९ कात्यायन्यर्द्धवृद्धा या काषायवसनाऽधवा ।। १७ ।। १० सैरन्ध्री परवेश्मस्था स्वशा शिल्पकारिका ।
१ स्त्रियी (स्त्री), किसी भी जातिम उत्पन्न हुई क्षत्रियकी स्त्री' का नाम है ॥
२ उपाध्यायानी, उपाध्याया (२ स्त्री), 'पढ़ानेवालेकी स्त्री' के २ नाम हैं ।
३ पोटा (स्त्री), 'स्तन और दाढ़ी (स्त्री-पुरुष के इन दो लक्षणों ) से युक्त स्त्री या नपुंसक स्त्री' का १ नाम है।
४ वीरपत्नी, वीरभार्या (२ स्वी), शूरवीरकी पत्नी' के २ नाम हैं । ५ वीरमाता (= वीरमातृ), वीरसूः (२ स्त्री), 'शूरवीरकी माता' २ नाम हैं।
६ जातापस्या, प्रजाता, प्रसूता, प्रसूतिका ( ४ स्त्री) 'प्रसूति' अर्थात् "जिसे सन्तान पैदा किये थोड़े दिन बीते हो' उस 'जच्चा' स्त्री के ३ नाम हैं।
. नग्निका ( भा० दी.), कोटवी ( + कोहवी, कौटवी । २ स्त्री)'नंगी स्त्री के नाम हैं।
दूती, संचारिका (२ स्त्री), 'दूती' के २ नाम हैं। ९ कात्यायनी (स्त्री), 'अधबूढ़, गेरुआ कपड़ा पहनी हुई विधषा स्त्री'का १ नाम है॥
१. ४ सैरन्ध्री ( + सैरिन्ध्री । स्त्री) 'जो दूसरेके घर रहे, स्वतन्त्र १. 'कोट्टवी' इति पाठान्तरम् ॥ २. 'कषायवसनाऽधवा' इति पाठान्तरम् ॥ १ 'सेरिन्ध्री' इति पाठान्तरम् ॥ ४ सैरन्ध्रीलक्षणं यथा
चतुःषष्टिकलाभिशा शीलरूपादिसेविनी।
प्रसाधनोपचारशा सैरन्ध्रि परिकीर्तिता ॥१॥ इति कास्यः। श्री. स्वा० तु 'परिकीर्तिता' इत्यत्र 'स्वक्शेति च' इति पाठमा॥
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