________________
मनुष्यवर्गः ६ ]
मणिप्रभाव्याख्यासहितः ।
१६१
१ वृद्धा पलिक्नी २ प्राज्ञी तु प्राज्ञा ३ प्राज्ञा तु धीमती ॥ १२ ॥ ४ शुद्री शूद्रस्य भार्या स्याच्छूद्रा तज्ज्ञातिरेव च । ६ आभीरी तु महाशुद्री जातिपुंयोगयोः समा ॥ १३ ॥ ७ अर्याणी स्वय्र्या स्यात् ८ क्षस्त्रिया क्षत्रियाण्यपि । ९ उपाध्यायाऽप्युपाध्यायी १० स्यादाचार्यापि च स्वतः ॥ १४ ॥ ११ आचार्यानी तु पुंयोगे १२ स्यादर्यो
१ वृद्धा, पलिक्नी ( स्त्री ), 'वृद्ध या पके हुए बालवाली स्त्री' के २ नाम हैं ॥
?
२ प्राज्ञी प्रज्ञा ( २ ख ), 'किसी विषय को अच्छी तरह स्वयं जाननेवाली स्त्री' के २ नाम हैं ॥
३ प्राज्ञः, धीमती ( + बुद्धिमती | स्त्री ), चतुर स्त्री' के २ नाम हैं ॥ ४ शुद्री (स्त्री), किसी भी वर्णमें उत्पन्न हुई शूद्रकी स्त्री' का १ नाम है ॥
५ शूद्रा ( स्त्री ), 'शूद्र वर्ण में उत्पन्न हुई शूद्रकी या अन्य किसी जातिकी स्त्री' का १ नाम है ॥
६ आभीरी, महाशूद्री ( २ स्त्री ), 'ग्वालिन या गोपकी स्त्री, महाशूद्रकुलमें उत्पन्न किसी भी जाति की स्त्री, अन्य वर्णमें उत्पन्न महाशूद्रकी स्त्री, के २ नाम हैं ॥
७ अर्याणी, अर्या ( २ स्त्री ), वैश्य कुलमें उत्पन्न स्त्री' के २ नाम हैं । ८ स्त्रिया, क्षत्रियाणी ( २ स्त्री ), 'क्षत्रिय कुलमें उत्पन्न स्त्री' के २ नाम हैं ॥
९ उपाध्याया, उपाध्यायी ( २ स्त्री ), 'स्वयं पढ़ानेवाली स्त्री' का २ नाम है ॥
१०
आचार्या (स्त्री), 'मन्त्रोंकी स्वयं व्याख्या करनेवाली स्त्री' का १ नाम है ॥
११ आचार्यानी ( + आचार्याणी । स्त्री), 'आचार्यकी स्त्री' का १ नाम है ॥ १२ अर्थी (स्त्री), 'किसी भी जाति में पैदा हुई वैश्यकी स्त्री' का १ नाम है ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org