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[ १८ ] आप लोगोंसे क्रमशः व्याकरण और ज्योतिष सम्बन्धी बहुतसी सम्मतियाँ प्राप्त हुई।
ग्रन्थद्वारा सहायतादाता १ श्री पं० नन्दविहारी मिश्र भायुर्वेदाचार्य, विशारद, आरामण्डलान्तर्गत गिरिधरपरांवनिवासी-आपने 'अमरविवेक' की प्राचीन पुस्तकद्वारा सहायता की।
२ श्री पं. ऋषिनन्दन पाण्डेय व्याकरणशासी, काव्यतीर्थ, अध्यापक सं० पाठ. कसाप, भारा-आपने भाषाटीकासहित अमरकोषकी अतिप्राचीन पुस्तकके द्वारा सहायता की।
३ श्री पं. कृष्णपन्त साहित्यार्य, अध्यक्ष विश्वनाथ संस्कृत पुस्तकालय, ललिताघाट, काशी-आपने अपने पुस्तकालय से बहुतसी पुस्तकें समय-समय पर देकर बहुत सहायता की।
इनके अतिरिक्त अन्यान्य जिन महानुभाव विद्वानों के द्वारा भी मुझे जो कुछ सहायता प्राप्त हुई है, उनका मैं बहुत भाभारी होते हुए कृतज्ञता प्रकाश करता हूँ।
टीकाके सहायक प्रन्थ 'साङ्केतिक चिह्न और शब्दका विवरण' शीर्षक लेख में आये हुए प्रन्यों के अतिरिक्त अग्निपुराण, अत्रिस्मृति, यमस्मृति, हारीतस्मृति, याज्ञवल्क्यस्मृति की बालभिट्टी टीका, आह्निकसूत्रावली, कहाद्रुमकोश, हिन्दी शब्दसागर, श्रीधरकोष भादि ग्रन्थ तथा अमरकोषकी सी० स्वा० कृत 'अमरकोषद्घाटन', महेश्वरकृत 'अमरविवेक', भानुजिदीक्षितकृत व्याख्यासुधा (रामाश्रमी) सर्वानन्दकृत 'टोकासर्वस्व', 'संक्षिप्तमाहेश्वरी', तथा एतद्वयाख्यानभूत 'अमरप्रकाश' द्वारा सहायता ली गयी है। इनके अतिरिक्त अन्य बहुत प्रन्यों द्वारा भी यत्र तन्त्र सहायता ली गयी है, उन ग्रन्थ कारों और टीकाकारोंका मैं विशेष भाभारी हूँ।
अन्तमें 'काशीस्थ चौखम्बा-बनारस-काशी-हरिदास सं० सिरीज़' के अध्यक्ष बाबू 'जयकृष्णदास हरिदास गुप्त' महोदयको अनेक धन्यवाद देता हूँ,
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