________________
पुरवर्गः २) मणिप्रभाव्याख्यासहितः ।
१ तोरणोऽस्त्री बहिर २ पुरद्वारं तु गोपुरम् ।। १६ ॥ ३ कूटं पूर्वारि यद्धस्तिनखस्तस्मिन्नथ त्रिषु ।
कपाटमररं तुल्ये ५ तद्विग्कम्भोऽर्गलं न ना ॥१७॥ ६ आरोहणं स्यात्सोपानं ७ निश्रेणिस्त्वधिरोहिणी। ८ संमार्जनी शोधनी स्यात् ९ संकरोऽवकरस्तया ॥ १८ ॥
क्षिप्ते १० मुखं निःसरणं ११ सन्निवेशो निकर्षणम् ।
, तोरणः (पु न ), बहिरम (न), 'तोरण, बाहरी फाटक' के २ नाम हैं।
२ पुरद्वारम्, गोपुरम ( २ न ), 'नगरके बड़े फाटक' के २ नाम हैं ।
३ हस्तिनखः (पु), 'सुखपूर्वक चढ़नेके लिये राजद्वार या नगर. द्वारपर बनाई हुई ढालू जमीन का १ नाम है ।
४ कपाटम ( + कवाटम् ), अररम् (अररी (स्त्री), अररिः (पु)। २ त्रि), 'किवाड़ के २ नाम हैं ।
५ अर्गलम् (न स्त्रो), 'किल्ली ' के २ नाम हैं ॥ ६ भारोहणम् सोपानम्, (२ न ), 'सीढा' के २ नाम हैं।
७ निश्रेणिः ( + निश्रेणी), अधिरोहिणी ( + अधिरोहणी । २ स्त्री) 'काठकी सीढी' के २ नाम हैं।
८ संमार्जनी, शोधनी ( १ स्त्री ), 'झाड़' के २ नाम हैं ॥
९ संकर ( + संकारः) अवकाः (२ पु), 'कतवार, बहारन' के २ नाम हैं।
१० मुखम, निःसरणम् (२ न), 'घर आदिके प्रधान द्वार' के २ नाम हैं।
" सचिवेशः (पु), निकर्षणम् (न), 'ठहरने योग्य स्थान' के २ नाम हैं।
-
-
१. 'तद्विष्कम्भ्यर्गलम्' इति पाठान्तरम् ॥ २. 'निश्रेणिस्त्वधिरोहणी' इति पाठान्तरम् ॥ ३. 'संकारोऽवकरात्यपि पाठान्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org