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भूमिवाः १] मणिप्रभाव्याख्यासहितः ।
१०६ १ नोवृज्जनपदो २ देशविषयौ तूपवर्तनम् ॥८॥ ३ भिष्वागोष्ठान्नडप्राये नड्वान्नड्वल इत्यपि । ५ कुमुद्वान् कुमुदपाये ६ वेतस्वान् बहु वेतसे ॥९॥ ७ शाबलः शादहरिते ८सजम्बाले तु पडिला । ६ जलप्रायमनूपं स्यात् १० पुंसि कच्छस्तथाविधः ॥ १०॥
१ नीवृत्, जनपदः ( +जानपदः । २ पु), 'मनुष्योंके ठहरनेकी जगह-ग्राम, नगर' के २ नाम हैं । ___२ देशः, विषयः (२ पु), उपवर्तनम् (न), देश' अर्थात् 'ग्राम सा. दाय' के ३ नाम हैं ॥
३ यहाँसे लेकर 'गोष्ठं गोस्थान...' (२०१२) के पहलेतक 'निषु'का अधिकार होने से सब शब्द त्रिलिज हैं।
४ नड्वान् ( नड्वत् ), नड्वलः (२ त्रि), 'नरसल या नरकट जिस देशमें अधिक हो, उस देश के २ नाम हैं ॥
५ कुमुद्वान् (= कुमुद्वत् , त्रि), "जिस देशमें कुमुद अधिक हो, उस देश' का १ नाम है ॥
६ वेत्तस्वान् ( = वेतस्वत् , त्रि), 'जिस देशमे बेत अधिक हों, उस देश' का १ नाम है।
शाला (+ शाड्वलः । त्रि), 'नई घासोसे हरा भरा स्थान या देश का नाम है।
८ पङ्किलः (त्रि), 'कीचड़वाले देश या स्थान' का । नाम है ॥
९ जलप्रायम् , 'अनूपम् (२ त्रि), 'बहुत जलवाले स्थान या अनेक प्रकारके पेड़ लता और झरनेवाले जङ्गलसे युक्त सब तरहके अन्न पैदा होनेवाले देश के २ नाम हैं।
१० कच्छः (पु । + न ), 'बहुत पानीवाले स्थानके समान नदी आदिके पासवाले बगीचा इत्यादि' का । नाम है। (भा० दी० मतसे 'जलप्रायम्' आदि २ नाम उक्तार्थक है) १. तदुकम्-'नानाद्रुमलतावीरूनिझरप्रान्तशीतलैः।
वनाप्तमनूपं स्यात्सस्यैव्रीहिववादिमिः ॥ १॥ इति ।
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