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अमरकोषः ।
[द्वितीयकाण्डे१ स्त्री शर्करा शरिलः २ शार्करः शर्करावति ।
देश एवादिमा३वेवमुन्नेयाः सिकतावति ॥ ११ ॥ ४ देशो नद्यम्बुवृष्टयम्दुसम्पन्नवीहिपालितः ।
स्यान्नदीमातृको देवमातृकश्च यथाक्रमम् ॥१२॥ ५ राशि देशे राजन्वान् स्यात्ततोऽन्यत्र राजवान् । ७ गोष्ठं गोस्थानकं ८ तत्त गोष्ठीनं भूतपूर्वकम् ॥१३॥ ९ पर्यन्तभूः परिसर :
१ शर्करा (नि. स्त्री), शर्करिलः (नि), 'अधिक बालूवाले या छोटे छोटे ककड़वाले या रेतीले देश' के २ नाम हैं ।
२ शार्करः, शर्करावान् (= शर्करावत् । २ त्रि), 'बालवाले देश इत्यादि। ('मादि शब्दसे बालूवाले पदार्थ आदिका संग्रह है') के नाम हैं । ___३ इसी तरह 'सिकता' आदि शब्दसे भी तर्ककर समझना चाहिये । (यथा-'सिकता: (नि. स्त्री। + नि. प.व.), सैकतिला (त्रि), 'बालू वाले देश' के नाम हैं। सैकतः, सिकतावान् ( = सिकतावत् । २ त्रि) बालू वाले देश आदि' के दो नाम हैं)॥
४ नदीमातृका, देवमातृकः (२ त्रि), 'नदी और नहर आदिके पीनीसे खेत सिंचनेपर अन्न पैदा होनेवाले देश' का तथा वर्षाके पानीसे स्खेत सोचनेएर अन्न पैदा होनेवाले देश' का क्रमश: १-१ नाम है ॥ __५ राजन्यान् ( राजन्वात् , त्रि), 'धर्मात्मा, शीलवान् और सदाचारी राजासे पालित देश' का । नाम है।
६ राजवान् ( = राजवत् , त्रि), 'सामान्य राजासे पालित देश' का नाम है।
७ गोष्ठम् , गोस्थानकम् (२ न ) गौमोंके रहने के स्थान-गोशाला आदि' के २ नाम हैं।
८ गौष्ठीनम् (न),'जहाँ पहले गौ रहती हो, उस स्थान का नाम है।
९ पर्यन्तभूः (स्त्री), परिसरः (पु) नदी और पहाड़ आदिके पासकी भूमि' के २ नाम हैं ।
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