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पारिवर्गः १०] मणिप्रभाव्याख्यासहितः।
१ जलोच्छासाः परीवाहाः २ कूपकास्तु विदारकाः । ३ नाव्यं त्रिलिङ्गं नौतायें ४ स्त्रियां नौस्तरणिस्तरिः ॥१०॥ ५ उडुपं तु प्लवः कोलः ६ स्रोतोऽम्बुसरणं स्वतः। ७ आतरस्तरपण्यं स्याद् ८ द्रोणी काष्ठाम्बुवाहिनो ॥ ११ ॥ ९ सांयात्रिका पोतवणिक १० कर्णधारस्तु नाविकः।
9-जलोच्छामः, परीवाहः (+ परिवाहः । २ पु), 'बढ़े हुए पानीके निकलनेके मार्ग' अर्थात् 'कनवाह' के २ नाम हैं ।
२-कूपकः; विदारकः, 'सूखीसी नदियों में थोड़ी देर में कुछ पानी इकट्ठा होनेके लिये किये गये गढे के २ नाम हैं। ('शोण मद्र, फागु आदि पहाड़ी या बालूदार नदियों में गढा करनेसे १०.५ मिनट में थोड़ा पानी जमा हो जाता है')॥
३ नाट्यम् (त्रि), 'नावसे पार होने योग्य नदी आदि' का नाम है ।।
४ नौः, तरणिः ( + तरणी), तरिः ( + तरी:, तरी । ३ स्त्री), 'नाव' के ३ नाम हैं । __ ५ उडुपम् (पु न ), प्लवः, कोलः (२ पु), महे. म. 'छोटी नाव' के
और भा० दी० म० 'तैरनेके लिए घड़ा, कनस्तर, तुम्बी आदिले बनाये गये साधन-विशेष' के २ नाम हैं ॥
६ स्रोत: ( = स्रोतस , न । + स्रोतः, = स्त्रोत, पु; श्रोतः, + श्रोतस, न), 'सोता' अर्थात् 'पानी के प्राकृतिक बहाव' का १ नाम है ।
७ आतरः (पु। + आवाफ: ). तरपण्यम् (न), 'नेवाई' अर्थात 'नावके भाड़े या उतराई' के २ नाम हैं ।।
८ द्रोणी (+द्रोणिः, द्रुणि:), काष्ठाम्बुवाहिनी (भा. दी० म० । २ स्त्री), 'काठकी बनाई गई छोटी नाव' अर्थात् 'टोंगी' के २ नाम हैं।
९ सायानिकः, पोतवणिक ( = पोतवणिज् । २ पु ), 'नाव या जहाजके व्यापारी' के २ नाम हैं।
१० कर्णधारः, नाविकः (२), 'पतवार पकड़नेवाले' के २ नाम हैं।
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