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अमरकोषः ।
[प्रथमकाण्डे१ पृषन्ति बिन्दुपृषताः पुमांसो विपुषः स्त्रियाम् ॥ ६॥ २ 'चक्राणि पुटभेदाः स्युर्धमाश्च जलनिर्गमाः । ३ कूलं रोधश्च तीरं च प्रतीरं च तटं त्रिषु ॥ ७॥ ४ पारा५वारे पराची तीरे ६ पात्रं तदन्तरम् । ७ द्वीपोऽस्त्रियामन्तरीपं यदन्तर्वारिणस्तटम् ॥ ८॥ ८ तोयोत्थितं तत्पुलिनं ९ सैकतं सिकतामयम् । १० निषद्वरस्तु जम्बालः पङ्कोऽस्त्री शादकर्दमौ ॥९॥
१ पृषत् (न । + पृषन्तिः , पु ), बिन्दुः, पृषतः (२ पु), विप्रट, (= वि. पुष , स्त्री । + विप्लुट् = विप्लुष ), 'बूंद' ठोप' के ४ नाम हैं ।
२ चक्रम् (न । + चक्रम्), पुटभेदः, भ्रमः, जलनिर्गमः (३ पु), महे०, स्वा. म. 'गोलाकार होकर जलके नीचे जाने के नाम हैं। (भा.
दी. म. पहलेवाले दो नाम उतार्थक और अन्त वाले दो नाम 'जल निकलनेके समुदाय के और अन्य के म० पहले वाले दो नाम उतार्थक तथा अन्तवाले दो नाम 'नीचेसे ऊपरकी तरफ जलके निकलने' अर्थात् 'जमीन फटकर भव फूटने या फोब्बारा छूटने के हैं)॥
३ कूलम, रोधः ( = रोधस्। +रोधः, - रोध, पु), तीरम, प्रतीरम् (४ न), तटम् (त्रि), 'नदी के किनारे के ५ नाम हैं ।
४ पारम् (न) 'नदीके उधरवाले किनारे' का नाम १ है ॥ ५ अवारम् (न), 'नदीके इधरवाले किनारे' का १ नाम है ॥ ६ पात्रम् (न) 'दोनों किनारों के मध्य भाग' का १ नाम है ॥ ७ द्वीपम् , अन्तरीपम् (२ पु न), 'टापू' के २ नाम हैं । ८ पुलिनम् (न), 'पानीसे शीघ्र निकले हुए किनारे' का नाम है। ९ सैकतम् , सिकतामयम् (२ न ), 'रेतीले स्थान या किनारे' के नाम हैं।
१० निषदः, जम्बालः, पङ्कः ( पु न ), शादः, कर्दमः (शेष ४ पु), 'कीचड़, पत' के ५ नाम हैं । १. 'वक्राणि पुटभेदा.........' इति मा० दी० पाठान्तरम् ।
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