________________
नाटयाः ] मणिप्रभाब्याख्यासहितः ।
भयङ्करं प्रतिभयं १ रौद्रं तूग्रमरमी त्रिषु ॥२०॥
चतुर्दश ३ दरखासोभीतिर्भाःसाध्वसं भयम् । ४ विकारो मानसोभावो५ऽनुभावो भावबोधकः ।। २१ ।। ६ गर्वोऽभिमानोऽहङ्कारो मानश्चित्तलमुन्नतिः । ८ 'दर्पोऽवलेपोऽवष्टम्भश्चित्तोद्रेकः स्मयो मदः' (५२) ९ अनादरः परिभवः परीभावस्तिरस्क्रिया ॥ २२ ॥
रीढाऽवमाननाऽवाऽवहेलनमसूक्षणम् ।
भयङ्करम् , प्रतिभयम् , (९ त्रि), 'भयानक रस' के ९ नाम हैं ।
१ रौद्रम् , उप्रम् , (२ त्रि), 'उग्र रल' के २ नाम हैं।
२ 'अद्भुतम्' यहाँसे लेकर 'उग्रम्' यहाँतक १४ शब्द 'रस'के अर्थ में प्रयुक्त होने पर पुंलिङ्ग हैं और रखवाले' के अर्थमें प्रयुक्त होने पर विलिङ्ग हैं।
३ दरः, त्राय: (२ पु), भीतिः, भीः (· + भिया । २ स्त्री), साध्वसम्, भयम् ( न), 'डर' के ६ नाम हैं ।
४ भावः (पु), 'रत्यादिरूप मनके विकार-विशेष' का । नाम है।
५ अनुभावः (पु), 'मनके विकारके प्रकाशक रत्यादिसूचक रोमाश आदि' का नाम है।
६ गः, अभिमानः, अहङ्कारः (३ पु), 'अभिमान, घमण्ड' के ३ नाम हैं।
७ मानः (पु), चित्तसमुखतिः (भा. दी० म० । स्त्री), 'मान, चित्तो. नति' के २ नाम हैं। ('महे• मादिके मतसे । ही नाम है। 'गर्व' आदि ५ शब्द एकार्थक हैं, यह भी किसी किसी का मत है')॥
८ [ दर्पः, अवलेपा, अवष्टम्भः, चित्तोद्रेकः, स्मयः, मदः (६ ), 'घमण्ड' के नाम हैं ]॥
९ अनादर:, परिभवः, परीभावः (३ पु), तिरक्रिया, रीढा, अवमानना, अवज्ञा ( बी), अवहेलनम् (+अवहेला, स्त्री), भसूक्षणम् ( + मु०, बु. मनो०, महे• 'असूक्षणम, मसुषणम्, संसूर्षणम्, संसुक्षणम्। २न), अनादर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org