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तेन
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स्थलकमलिनी स्तेन पुं० चोर (२)न० चोरी करवी ते स्त्रीयंत्र न० स्त्री रूपी यंत्र स्तेय न० चोरी; लूट (२) चोरायेली स्त्रीरत्न न० श्रेष्ठ स्त्री(२)लक्ष्मी
वस्तु(३)गुप्त वात; खानगी वात । स्त्रीलिंग न० नारी जाति (व्या०) (२) स्तै १५० पहेरवू; शणगारवू
स्त्रीपणानें कोई पण चिह्न (स्तन इ०) स्तमित्य न० (अंगोनी) जडता; अक- (३) स्त्री, गुह्यांग - योनि __ डाई जवुते; जूठा पडी जवुते स्त्रीविधेय पुं० स्त्रीना उपर सत्ता स्तोक वि० थोडं; अल्प (२)ट्रंकु (३) चलावतो होय तेवो पुरुष
तुच्छ; हलकुं(४)पुं० टी'; बहु थोडं ते स्त्रीसंग पुं० स्त्रीमा आसक्ति (२)मैथुन स्तोकक पुं० चातक [वळेलं स्त्रीसंस्थान वि० स्त्रीनी आकृतिवाळं; स्तोकनम्र वि० थोडंक नमेलं; जरा
स्त्रीना स्वरूपवाळू स्तोकम् अ० थोडं- अल्प होय तेम
स्त्रीसेवा स्त्री० स्त्रीमां आसक्ति स्तोतव्य वि० वखाणवा लायक; स्तुति स्त्रैण वि० स्त्री संबंधी; स्त्रीनें; स्त्रीने __ करवा लायक
लगतुं (२)स्त्रीने उचित (३) स्त्रीमा स्तोत् पुं० वखाण करनारो; स्तुति
आसक्त एवं (४) न० स्त्रीपणुं (५) करनारो(२)चारण; बंदीजन
स्त्री जाति (६)स्त्रीओनो समुदाय । स्तोत्र न० वखाण (२) स्तुतिनुं सूक्त
स्थ वि० (समासने अंते) रहेतुं; होतुं स्तोभ पुं० प्रतिबंध; अवरोध (२)
(जेमके, 'तटस्थ') (२)स्थावर __थोभq ते (३)अनादर (४)सूक्त स्तोत्र
स्थग् १५० ढांकवृं; छुपावq (२) स्तोम पुं० स्तुति; स्तोत्र (२)यज्ञ ; होम (३)सोमनोहोम (४)समूह; समुदाय
व्यापवू; ढांक; भरी काढवू (५)ढगलो; जथो
स्थगर पुं० 'पुत्रजीवक' नामनो छोड स्त्यान वि० ढगलो करेलु; एकळु करेलु
स्थगिका स्त्री० वेश्या; गणिका (२) (२) स्थूल ; भारे; जाडु (३) लीसुं;
तांबुलवाहकनुं पद (३) पाननो डबो चीकj(४)न. कद के जथामां वधवं
स्थगित वि० ढांकेलं; छुपावेलु (२)बंध ते; भारे-जाडु एवं ते (५)आळस;
करेल; वासेलु (३)रोकेलं; अटकावेलु सुस्ती (६) पडघो; अवाज
स्थगु पुं० खूध स्त्यै १ उ० एकळुथq; ढगलो थवो (२)
स्थपति वि० मुख्य (२)पुं० अधिपति; पथरावू; फेला
राजा (३) शिल्पी (४) सुतार (५) स्त्री स्त्री० नारी (२) कोई पण प्राणीनी सारथि (६) अंतःपुरनो रक्षक
मादा (३)पत्नी(४)नारी जाति(व्या०) स्थपत्य पुं० अंतःपुरनो कंचुकी स्त्रीजित पुं० स्त्रीनो ताबेदार- तेना स्थपुट वि० आपद्ग्रस्त (२)ऊंचुंनीचुं; हुकम प्रमाणे वर्तनारो पति
विषम [सांकडा भागमां आवेलु स्त्रीमिणी स्त्री० रजस्वला
स्थपुटगत वि० विषम भागमां आवेलं; स्त्रीपर वि० कामुक; व्यभिचारी स्थल न० सूकी जमीन (२) किनारो स्त्रीपुंसौ पुं० द्वि०व० पति अने पत्नी (३)जमीन (४) स्थळ; स्थान (५) (२)नर अने मादा
ऊंची जमीन; टेकरो (६) विवाद के स्त्रीपूर्व पुं० जुओ 'स्त्रीजित'
चर्चानो विषय के प्रसंग (७)पुस्तकनो स्त्रीबुद्धि स्त्री० स्त्रीनी बुद्धि के सलाह भाग(८)तंबू (२) स्त्रीनी सलाह
स्थलकमल न०, स्थलकमलिनी स्त्री०
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