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सदवन ५१४
सनातन नाश पामर्रा (७) आफतमां होवू (८) सदोगत वि० सभामां बेठेलु विघ्न आवq (९) थाकीने भागी पडवू सदोगृह न० सभागृह
-प्रेरक० [सादयति बेसाडq (१०) सदोत्थायिन् वि० हमेश उद्यमी रहेतुं नाखवू; मूकद् (११) थकवq (१२) सद्गति स्त्री० मुखी स्थिति (२) नाश करवो; बरबाद करवू
सत्पुरुषोनी गति सारो गुण सवधन वि० दही मेळवेलं
सद्गुण वि० सारा गुणवाळु; सद्गुणी(२) सदन न० घर; भवन (२) नाश पामवं सद्धर्म पुं० साचो न्याय ते; क्षीण थर्बु ते (३)थाकीने के हताश सद्भाव पुं० थवापणुं;होवापणुं;अस्तित्व थईने भागी पडq ते
(२) मळतावडापणुं (३) सारो भाव सदय वि० दयाळु [हळवेथी (४) प्राप्ति सदयम् अ० दयापूर्वक (२) धीमेथी; सद्मन् न० घर; रहेठाण सदर्थ पुं० प्रस्तुत वात के मुद्दो
सद्यस् अ० आजे ज (२) तरतज (३) सदस न० घर; रहेठाण (२) सभा जलदीथी (४)ताजेतरतुं किरातुं (३) आकाश (४) न० (द्वि० व०) सद्यस्कार वि० ते ज दिवसे करवानु के स्वर्ग अने पृथ्वी
सद्यस्कालिन वि० ताजेतरतुं सदसत वि० सत् अने असत्; अस्ति- सद्यःपातिन् वि० क्षणभंगुर त्वमा होय तेवू अने अस्तित्वमां न सधःप्राणकर वि० तरत बळ आफ्नारु होय तेवु (२) साचुं अने खोटुं (३) सद्यःप्राणहर वि० तरत ज प्राण हरनारुं सारं अने खराब [समजवो ते सद्रत्न न० हीरो सदसद्विवेक पुं० सारासारनो भेद सद्वचस् न० प्रिय - अनुकूळ वाणी सदसव्यक्तिहेतु पुं० सारा अने खराबनो सद्वसथ पुं० गाम; गाम भेद समजवानुं कारण
सद्वस्तु न० सारी चीज - वस्तु (२)नाटक सदसस्पति पुं० सभाध्यक्ष
के कथानो सारो विषय ('प्लॉट'); सदस्य पुं० सभामां बेठेलो माणस; सारी वस्तुगंथणी सभासद (२) मददनीश के निरीक्षक सद्वादिता स्त्री० हितकर सलाह ऋत्विज (यज्ञमां)
सद्वत्त वि० सदाचारी; सद्गुणी (२) सदा अ० हमेशा
पूरेपूरुं गोळ (वर्तुळ आकार-)(३) न० सदागति पुं० पवन
सद्वर्तन (४) मळतावडो स्वभाव सदाचार पुं० सद्वर्तन(२)सारा माणसो सधर्मन् वि० सरखा गुणधर्मवाळ (२)
वडे आचरातो के परंपरागत आचार सरखां कर्तव्यवाळू (३)एक ज पंथ के सदादान वि० हमेश दान आपनाएं(२) संप्रदायर्नु (४) समान; सदृश हमेश (दानवारि) मद झरतुं (३) पुं० सध्रीची स्त्री० साथी स्त्री (२) पत्नी इंद्रनो हाथी ; ऐरावत (४)मद झरतो सध्यंच वि० साथे जनारं; संगाथी (२) हाथी (५) गणेश
पुं० साथी (पति) सदाशिव पुं० शंकर
सनत् अ० हमेशां सदक्ष, सदश् (-श) वि० सरखं; समान सना, सनात् अ० हमेशा
(२) उचित ; अनुकूळ ; लायक सनातन वि० कायमी; शाश्वत (२) सदेश वि० देशवाळू (२)एक ज स्थान स्थिर; दृढ (३)पुरातन; पुराणुं (४) के देशनु (३) पडोशनुं
पुं० एक प्राचीन ऋषि
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