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________________ ४९४ शल्य शरभंग शरभंग पुं० दंडकारण्यना एक मुनि शरवण न० बरनुं झुंड शरवणभव पुं० कार्तिकेय शरवन पुं० जुओ 'शरवण' शरवर्ष पुं० बाणनो वरसाद (२) जोरथी पडतो पाणीनो वरसाद शरव्य न० निशान; लक्ष्य (बाण-) शरवात पुं० बाणनो समुदाय शरसंधान न० बाण ताकवू ते शरसंबाध वि० बाणोथी ढंकायेलं शरस्तंब पुं० बरुनुं झुंड । शरार वि० घातक; हिंसक (२) पुं० हिंसक पशु [ढांक| शराव पुं० न० शकोरुं; चपणियु (२) शरावर (शर + आवर) पुं० बाणनो भाथो (२) न० बख्तर शरावती स्त्री० एक नगरी (रामे लवने तेनो राजा बनाव्यो हतो) शरावरण न० ढाल [भाथो शरावाप पुं० धनुष्य (२) बाणनो शरासन पुं० धनुष्य शरीर न० देह; अंग (२) घटक तत्त्व (३) शारीरिक बळ (४) शब (५) पोतानी जात; जीवात्मा शरीरक पुं० जीव (२) न० नानुं - तुच्छ शरीर (३) शरीर शरीरज पुं० बीमारी (२) आवेग; कामवासना (३) कामदेव (४) पुत्र शरीरपात पुं० मोत शरीरप्रभव पुं० पिता शरीरबद्ध वि० देहधारी; मूर्तिमंत शरीरबंध पुं० देहर्नु चोकळु-बंधारण (२) देहधारी तरीके जन्म शरीरभाज् वि० देहधारी; मूर्त (२) पुं० देहधारी प्राणी शरीरयात्रा स्त्री० निर्वाह ; आजीविका शरीररत्न न० उत्तम शरीर शरीरवृत्ति स्त्री० शरीरनुं धारण-पोषण शरीरसंपत्ति स्त्री० शरीरनु आरोग्य शरीरसाद पुं० शरीर सुकावं ते शरीरस्थिति स्त्री० शरीरन पोषण के आधार (२)भोजन लेवू ते शरीराकार पुं० शारीरिक चेष्टा शरीरांत पुं० शरीरना वाळ शरीरिन् वि० शरीरधारी; मूर्त (२) जीवतुं (३) पुं० देहधारी प्राणी (४) मनुष्य (५) जीवात्मा शरोपासन न० धनुर्विद्यानो अभ्यास शरोध पुं० बाणनो वरसाद शर्करा स्त्री० साकर; खांड (२) नानो पथ्थर; कांकरो (३) कांकरावाळी जमीन (४) टुकडो (५)ठीकरुं(६)कोई पण कठण वस्तु (७) सोनावाळी जमीन शर्कराचल पुं० आठ भार साकरनो पर्वत (दानमा अपाय छे ते) शर्कराल वि० रेताळ; रेतीना कण वाळं (जेम के पवन) शर्मन् वि० सुखी (२) समृद्ध (३) पुं० ब्राह्मणना नामने लगाडालो शब्द (उदा० विष्णुशर्मन्) (४) न० सुख; हर्ष (५) आशीर्वाद (६) रक्षण (७)घर शर्मिष्ठा स्त्री० ययाति राजानी बीजी राणी (प्रथम राणी देवयानी) शर्व चु० शिव (२) विष्णु शर्वरी स्त्री. रात्री (२) सांज शर्वाणी स्त्री० पार्वती; दुर्गा शलभ पुं० पतंगियु (२)तीड; तीतीघोडो शलल न० साहुडीनुं सळिया जेवू पीछु शलंग पुं० राजा (२)एक जातनुं मीर्छ शलाका स्त्री० सळियो; सळी (२) आंजवानी सळी (३)बाण (४) छत्रीनो सळियो (५) फणगो; अंकुर (६) खींटी; खीली (७) आंगळी शलाकापुरुष पुं० नमूनारूप - मापवाना गज रूप-- उत्तम पुरुष (जैन). शल्य पुं० मद्र देशनो राजा; नकुल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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