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शल्य
शरभंग शरभंग पुं० दंडकारण्यना एक मुनि शरवण न० बरनुं झुंड शरवणभव पुं० कार्तिकेय शरवन पुं० जुओ 'शरवण' शरवर्ष पुं० बाणनो वरसाद (२)
जोरथी पडतो पाणीनो वरसाद शरव्य न० निशान; लक्ष्य (बाण-) शरवात पुं० बाणनो समुदाय शरसंधान न० बाण ताकवू ते शरसंबाध वि० बाणोथी ढंकायेलं शरस्तंब पुं० बरुनुं झुंड । शरार वि० घातक; हिंसक (२) पुं० हिंसक पशु
[ढांक| शराव पुं० न० शकोरुं; चपणियु (२) शरावर (शर + आवर) पुं० बाणनो
भाथो (२) न० बख्तर शरावती स्त्री० एक नगरी (रामे लवने
तेनो राजा बनाव्यो हतो) शरावरण न० ढाल [भाथो शरावाप पुं० धनुष्य (२) बाणनो शरासन पुं० धनुष्य शरीर न० देह; अंग (२) घटक तत्त्व (३) शारीरिक बळ (४) शब (५) पोतानी जात; जीवात्मा शरीरक पुं० जीव (२) न० नानुं -
तुच्छ शरीर (३) शरीर शरीरज पुं० बीमारी (२) आवेग;
कामवासना (३) कामदेव (४) पुत्र शरीरपात पुं० मोत शरीरप्रभव पुं० पिता शरीरबद्ध वि० देहधारी; मूर्तिमंत शरीरबंध पुं० देहर्नु चोकळु-बंधारण
(२) देहधारी तरीके जन्म शरीरभाज् वि० देहधारी; मूर्त (२)
पुं० देहधारी प्राणी शरीरयात्रा स्त्री० निर्वाह ; आजीविका शरीररत्न न० उत्तम शरीर शरीरवृत्ति स्त्री० शरीरनुं धारण-पोषण
शरीरसंपत्ति स्त्री० शरीरनु आरोग्य शरीरसाद पुं० शरीर सुकावं ते शरीरस्थिति स्त्री० शरीरन पोषण के
आधार (२)भोजन लेवू ते शरीराकार पुं० शारीरिक चेष्टा शरीरांत पुं० शरीरना वाळ शरीरिन् वि० शरीरधारी; मूर्त (२) जीवतुं (३) पुं० देहधारी प्राणी (४) मनुष्य (५) जीवात्मा शरोपासन न० धनुर्विद्यानो अभ्यास शरोध पुं० बाणनो वरसाद शर्करा स्त्री० साकर; खांड (२) नानो पथ्थर; कांकरो (३) कांकरावाळी जमीन (४) टुकडो (५)ठीकरुं(६)कोई पण कठण वस्तु (७) सोनावाळी जमीन शर्कराचल पुं० आठ भार साकरनो पर्वत
(दानमा अपाय छे ते) शर्कराल वि० रेताळ; रेतीना कण
वाळं (जेम के पवन) शर्मन् वि० सुखी (२) समृद्ध (३) पुं० ब्राह्मणना नामने लगाडालो शब्द (उदा० विष्णुशर्मन्) (४) न० सुख; हर्ष (५) आशीर्वाद (६) रक्षण (७)घर शर्मिष्ठा स्त्री० ययाति राजानी बीजी
राणी (प्रथम राणी देवयानी) शर्व चु० शिव (२) विष्णु शर्वरी स्त्री. रात्री (२) सांज शर्वाणी स्त्री० पार्वती; दुर्गा शलभ पुं० पतंगियु (२)तीड; तीतीघोडो शलल न० साहुडीनुं सळिया जेवू पीछु शलंग पुं० राजा (२)एक जातनुं मीर्छ शलाका स्त्री० सळियो; सळी (२)
आंजवानी सळी (३)बाण (४) छत्रीनो सळियो (५) फणगो; अंकुर (६) खींटी; खीली (७) आंगळी शलाकापुरुष पुं० नमूनारूप - मापवाना
गज रूप-- उत्तम पुरुष (जैन). शल्य पुं० मद्र देशनो राजा; नकुल
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