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________________ वारिराशि ४४० वास् वारिराशि पुं० समुद्र (२)सरोवर वार्मुच् पुं० मेघ; वादळ वारिरह न० कमळ वार्य वि० पसंद करवा- (२) मूल्यबारिवाह, वारिवाहन पुं० मेघ वान (३) पुं० दीवाल ; कोट (४) न० वारी स्त्री० जुओ 'वारि' स्त्री० वर; वरदान (५) (ब०व०) मिलकत वारीट पुं० हाथी वार्वाह पुं० मेघ; वादळ वारीश पुं० समुद्र (२) विष्णु वार्षिक वि० वर्षा ऋतुनु (२)दर वरसे वारुण वि० वरुणदेवनें; वरुण संबंधी थतुं (३)एक वरस टकी रहेनाएं (२) वरुणने अर्पित एवं (३)पाणीन; वार्षिकी स्त्री० आखं वरस जेनां पाणी पाणीमांनुं (४) पश्चिम दिशानुं (५) वहे छे तेवी नदी न० पाणी (६) शतभिषज् नक्षत्र (७) वाष्र्णेय पुं० वृष्णिनो वंशज (२)श्रीकृष्ण पुं०, न० पश्चिम दिशा वालखिल्य पुं० अंगूठाना कदना वारुणि पुं० अगस्त्य मुनि (२)भृगु ६०,००० देवताओ (ब्रह्माना शरीरवारुणी स्त्री० पश्चिम दिशा (२) मदिरा माथी उत्पन्न थयेला तथा सूर्यना रथनी वारुण्य वि० वारुणी-मदिरा संबंधी आगळ जता मनाय छे) वार्ड वि० झाडनु; झाडनूं बनेलं (२) वालधि पुं० वाळवाळू पूंछडु झाडनी छाल बनेल (३) न० जंगल वालि पुं० वानरोनो राजा; सुग्रीवनो वार्ता स्त्री० जुओ 'वार्ता' मोटो भाई धात वि० नीरोगी (२)असार (३)न० आरोग्य ; क्षेम (४)कुशळता वालुका स्त्री० रेती (२) चूर्ण वार्ता स्त्री० रहे ते(२)समाचार; खबर वाल्मिकी, वाल्मीक, वाल्मीकि पुं० (३) आजीविका; धंधो (४) खेती रामायणना रचनार ऋषि (वैश्यनो धंधो) वाहक ; कासद वाल्लभ्य न० वल्लभ-प्रिय होवापणुं वार्तानुकर्षक पुं० जासूस (२) संदेश वाव अ० आगाउना शब्द उपर भार वार्तामात्र न० मात्र ऊडती वात (२) मूकवा वपरातो प्रत्यय उपरचोटियुं ज्ञान वावदूक वि० वातोडियु; वाचाळ वार्तावह पुं० दूत; कासद [समाचार वावात वि० प्रिय ;मानीतुं होय) वार्ताव्यतिकर पुं० किंवदंती (२)खराब वावाता स्त्री० मानीती राणी(शूद्र वर्गनी वार्ताहर पुं० दूत; कासद वावत ४ आ० पसंद कर कात्तिक वि० समाचारने लगतुं (२) वाश ४ आ० बूम पाडवी; चीस पाडवी विवरणरूप एवं (३) पुं० जासूस (२) गुंजारव करवो; कूजवू (पक्षी (४)वैश्य ; वेपारी (५)न० कहेवायेल ओए) (३) बोलावq - नहीं कहेवायल-अधूरी कहेवायल वाशक वि० बम पाडतं; गाजतं । अर्थ- विवरण करनार ग्रंथ वाशित न० पक्षीओनी चीस - बूम वाघ्न पुं० अर्जुन समुदाय (२)बोलावq ते [पत्नी वार्द्धक न० वृद्धावस्था (२) घरडाओनो वाशिता स्त्री० हाथणी (२) स्त्री (३) वार्द्धक्य न० घडपण वाशी स्त्री० फरसी-भालो वगेरे जेवू वार्द्धष, वार्द्धषिक पुं० व्याजखोर हथियार (२) अवाज; वाणी वाधि पुं० महासागर [डानी दोरी वाष्प पुं०, न० जुओ 'बाष्प' बाधं न०, वार्षी स्त्री० वाधर; चाम- . वास् १० उ० सुवासित कर (२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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