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वररुचि
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वर्चस्विन् वररुचि वि० वरदानमां प्रीतिवाळू (३) कामदेव (४) हाथी (५)न० माथु (शिव) (२)पुं० पाणिनीय अष्टाध्यायी (६) उत्तम अवयव (७)सुंदर स्वरूप सूत्र पर वार्तिक करनार एक मुनि वरांगक न० तज; दालचीनी ( कात्यायन); विक्रम के भोजना वरांगना स्त्री० सुंदर स्त्री दरबारनां नव रत्नोमांनो एक ; प्राकृत वरिवसित वि० पूजनाएं; भक्त भाषाओनो मुख्य वैयाकरणी
वरिवस्यति प० (कृपा करवी) वरलक्षण न० लग्नविधिमा आवश्यक वरिवस्या स्त्री० सेवा; भक्ति; पूजा बाबत
दुर्गा वरिष्ठ वि० श्रेष्ठ; उत्तम (२) सौथी वरवणिनी स्त्री० स्त्री (२)संदर स्त्री(३) वधु विशाळ, मोटुं, पहोळं, भारे ('उरु'नुं वरसुरत वि० कामक्रीडानुं रहस्य श्रेष्ठतादर्शक रूप) जाणनारु
वरीयस् वि० वधु सारुं; वधु पसंद करवा वरंड पुं० समुदाय (२)मों उपरनो खील योग्य ('उरु' नुं तुलनात्मक रूप) (३) वरंडो; ओसरी (४) माछली वरुण पुं० समुद्र तथा पश्चिम दिशानो पकडवाना आंकडानी दोरी(५)झझूमती अध्यक्ष देव (हाथमां पाश होय छे) दीवाल (६) घासनी गंजी
वरुणात्मज पुं० जमदग्नि वरंडक वि. विशाळ (२)बीनेलं; दीन वरूथ न० अथडाय नहि माटे रथने करेलु (३) पुं० माटीनो टिंबो (४) हाथी कठेरा जेवु रक्षण (२)बस्तर (३)ढाल उपरनो बेसवानो होहो (५)दीवाल (६) (४) समुदाय; टोळं वेदीनो मध्य भाग(७)मों उपरनो खील वस्थशस् अ० टोळाबंध; ढगलाबंध वरंडी स्त्री० घासनी पूळी
वरूथिन् वि० कवचयुक्त (२) रक्षण माटे वराक वि० बिचाएं; बापडु (२) कम- करेला कठेरावाळू (रथ) (३) रक्षतुं नसीब (३) हीन; नीच
(४) सेनाथी घेरायेलू (५) वाहनमां वराट पुं० कोडी(२) दोरडु(३)बीजकोश बेठेलं (६) पुं० रथ (७) रक्षक वराटक पुं० कोडी (२) कमळनो बीज- वरूथिनी स्त्री० सेना कोश (३) पुं०, न० दोरडुं
वरेण्य वि० पसंद करवा-इच्छवा योग्य वराटकरजस् पुं० नागकेसरनुं झाड
(२) उत्तम; श्रेष्ठ; मुख्य वराटिका स्त्री० कोडी (२)तुच्छ वस्तु वर्ग पुं० विभाग; समूह; समुदाय (२) वरानना स्त्री० सुंदर मुखवाळी स्त्री __ पक्ष (३) 'स्क्वर' (गणित०) वरारोह वि० सुंदर नितंबवाळं
वर्गणा स्त्री० समदाय; जथो वरारोहा स्त्री स्वरूपवती स्त्री (सुंदर वर्गस्थ वि० एक पक्षने टेकवतुं नितंबवाळी)
वगिन् वि० एक वर्ग-; एक पक्षनुं(२)पुं० वराह वि० वरदानने लायक (२) वर्गनो नायक [जोडीदार लायक ; आदरणीय (३) मूल्यवान ।
वर्य वि० एक ज वर्गमुं(२)पुं०साथीदार; वरासन न० उत्तम आसन-बेठक वर्चस् न तेज; बळ; वीर्य ; कांति (२) वराह पुं० डुक्कर; सूवर (२) ए रूपे __ आकृति; स्वरूप (३) विष्टा; मळ विष्णुनो त्रीजो अवतार
वर्चस्क पुं० तेज; वीर्य; कांति वराहकर्ण पुं० एक जातनुं बाण वर्चस्विन् वि० तेजस्वी; कांतिमान (२) वरांग वि० सुंदर अंगवाळु(२)पुं० विष्णु वीर्यवान; पराक्रमी
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