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वरम् व १ उ० वाववं; रोप, (२)फेंकवू; वयःप्रमाण न० आयुष्यनी लंबाई के माप नाखवू (पासा) (३)वाळ कातरवा वयःस्थ वि० जुवान (२)उंमरे पहोंचेलं वपन न० वावq ते(२)हजामत करवी ते (३)सशक्त (४)पुं० मित्र; समोवडियो वपा स्त्री० दर; छिद्र (२) कीडीनो वयुन न० ज्ञान; डहापण (२) मंदिर राफडो (३) चरबी; मज्जा
(आ अर्थमां पुं० पण) (३) विधि; वपु पुं० शरीर
आदेश (४) पद्धति (५) कर्म ; कृत्य वपुर्गुण पुं० जुओ 'वपुःप्रकर्ष' । वयोनाल वि० उमरमां नानू वपुर्धर वि० मूर्तिमंत;देहधारी (२)सुंदर वयोवस्था स्त्री० उमर; उमरनुं माप वपुष्मत् वि० मूर्तिमंत; देहधारी (२) । वयोवृद्ध वि० उमरमां मोटुं; वृद्ध सुंदर; मनोहर (३) हृष्टपुष्ट (४) वर वि० उत्तम ; श्रेष्ठ (२)-थी वधु अक्षत; नहि भागेलुं (५) देहात्मवादी सारं(३) पुं० पसंद करते (४)पसंदगी वपुस् न० शरीर (२)स्वरूप ; आकृति (५) वरदान (६) बक्षिस; इनाम;
(३) सार; तत्त्व (४) सुंदर स्वरूप । बदलो (७) इच्छा (८) विनंती (९) वपुःप्रकर्ष पुं० सुंदर स्वरूप के आकृति परणनारो; पति (१०) जमाई वस्त पुं०बी वावनारो;खेडूत (२) पिता.
वरगात्र वि० सुंदर अंगवाळं (३) हजाम; वाळ कापनारो
वरट पुं० हंस (२) न० कुंद पुष्प वप्र पुं०, न० माटीनी दीवाल ; कोट(२)
वरटा(-टी) स्त्री० हंसली (२) पीळी तट; किनारो (३) कराड; भेखड;
भमरी (करडे छे ते) टेकरीनो ढोळाव (४)शिखर (५)पायो
वरण न० पसंद करवं ते (२)आजीजी (६)खाई (७)खेतर(८)सांढ के हाथी
करवी ते (३)वींटवू-आवरवं ते (४) भेखड सामे गोधुं मारी घा करे ते ।
कन्या पसंद करवी ते (५) पुरोहित वप्रक्रिया, वप्रक्रीडा स्त्री० किनारा के
वगेरेने पूजवा ते (६)अटकावते (७) भेखडमां गोधु मारी घा करवानी (सांढ, हाथी इ० नी) रमत
पुं० कोट; भीत(८) वरुण' वृक्ष (९) वाभिघात पुं० किनारा के भेखड साथे
कोई पण वृक्ष (१०) इंद्र
वरतन वि० सुंदर अवयववाळं (२) अथडावं - अफळावं ते. वम् १ प० वमन-ऊलटी करवी (२) स्त्री० सुंदर अंगवाळी स्त्री बहार काढवू; फेंकवृं; छोडवू (तेज,
वरत्र न० दोरी किरण इ० पण) (३) फेंकी देवू;
वरत्र न०, वरत्रा स्त्री० चामडानो पटो __ काढी नाखवू
(२) हाथी के घोडानो पटो वमथु पुं० यूंकी काढवू; काढी नाखवू वरद वि० वरदान आपनाएं
(२)हाथी सूढमांथी पाणी बहार काढे ते वरदा स्त्री० एक नदी वमन न० बहार काढवू ते (२)ऊलटी वरदान न० देव देवी के संते प्रसन्न थई
करवी ते (३) पीडा (४) होम इच्छेलुं आपq ते वयन न० वणवू ते [कागडो वरदानिक वि० वरदानथी मळेलं वयस् न० वय (२) जुवानी (३)पंखी(४) वरपक्ष पुं० वरनां सगांसागवां वयस्थ वि० जुओ 'वयःस्थ'
वरपुरुष पुं० पुरुषोमां उत्तम वयस्य वि० समान वय- (२) समोवडियुं वरम् अ० वधु सारु', 'पसंद कराय' (३) पुं० मित्र; समोवडियो
-एवो अर्थ बतावे
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