SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 372
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३५८ भेट भृकुंश (-स) पुं० स्त्री-वेशधारी नट भृग स्त्री० ज्वाळा भृगु पुं० एक ऋषि (२)जमदग्नि (३) शुक्राचार्य (४)शुक्र ग्रह (५)शुक्रवार (६) भेखड; कराड भृगुकच्छ पुं०, न० भरूच (शहेर) . भृगुज, भृगुतनय पुं० शुक्राचार्य (२) शुक्र ग्रह [(३)शौनक भृगुनंदन पुं० परशुराम (२) शुक्राचार्य भृगुपतन न० कराड उपरथी पडq ते भृगुपति, भृगुशाईल, भृगुश्रेष्ठ, भृगु सत्तम पुं० परशुराम भृगुसुत, भृगुसन पुं० परशुराम (२) शुक्राचार्य (३)शुक्र ग्रह भत् वि. (समासने छेडे) धारण करतं (२) टेकवतुं; पोषतुं (३)लावतुं भृत ('भृ' नुं भू० कृ०) वि० ऊंचकेलं; वहन करेलु (२)टेकवेलं; पोषेलु (३) -थी युक्त;-थी पूर्ण (४) भाडे लीधेलं (५) पुं० पगारदार नोकर भृतक वि० पोषेढुं (२) भाडे राखेखें (३). पुं० पगारदार नोकर भृति स्त्री० धारण करवू के पोषq ते (२) -ने अर्पq ते; -मां उपजावq ते (३) पगार; भाडं (४) मूडी। भृत्य वि० पोष्य; जेनुं भरणपोषण करवू पडे ते (२)पुं० नोकर; आश्रित (३) राजानो कर्मचारी भृत्यता स्त्री०, भृत्यभाव पुं० दासपणुं भूत्यर्थम् अ० भरणपोषण माटे भूत्यवर्ग पुं० परिवार; नोकरवर्ग भृत्यवात्सल्य न० नोकरो प्रत्ये मायालुता भृत्यायते आ० (नोकरनी जेम वर्त) भृश वि० मजबूत ; गाढ; पुष्कळ (२) वारंवार थतुं भशकोपन वि० झट गुस्से थई जाय तेवं भूशवंर वि० कडक सजा करनारुं । भृशदुःखित, भृशपीडित वि० अत्यंत दुःखी भृशम् अ० अत्यंत; अति (२)वारंवार भृष्ट (भ्रस्ज्' नुं भू० कृ०) वि० शेकेलं; भूजेलं भुंग पुं० भमरो भुंगराज पुं० भांगरो (२)एक जातनो मोटो भमरो(३)एक पक्षी भंगार पुं०, न० सोनानी झारी (२)झारी भुंगी स्त्री० भमरानी मादा भेक पुं० देडको (२)बीकण माणस भेर पुं० घेटो (२) तरापो भेडी स्त्री० घेटी भेतव्य वि० जेनाथी डरवं जोईए तेवं भेत वि० फोडनाएं; तोडनाएं; भांगनारु (२) डखल करनारुं (३) रहस्य खुल्लू करी देनाएं भेद पुं० भागवं, फाड, तोडवू के चीरवू ते(२) विभाग पाडवा ते (३) आरपार वींधवं ते (४)फाट; चीरो (५) फूटवू ते (६) विभाग (७) घा (८) जुदाई; विशिष्टता (९) बदलवू ते; विकृति उत्पन्न करवी ते (१०) कुसंप (११) (रहस्य)बहार पाडी देवं ते (१२)दगो; द्रोह (१३)द्वैत ('अद्वैत' थी ऊलटुं) भेवक वि० भेदनाएं; फाडनाएं; तोडनारं; जु, पाडनारं; वींवनाएं (२)जुलाब लगाडे तेवं (३)बदलनारं; फेरवनाएं भेदन वि० जुओ 'भेदक' (२) न० तोडवू, फाडवू के चीरवं ते भेदसह वि० जुदुं पाडी शकाय के फोडी शकाय तेवु (लांच इ० थी) भेदाभेवी पुं०वि०व० संप-कुसंप; संमति मतभेद (२) एकरूपता अने तफावत भेदित वि० फाडेलु; तोडेलु भाग पाडेलं भेदिन् वि० भागनारं, तोडनारं इ० भेदिर, भेदुर न० वज भेदोन्मुख वि० फूटवानी के खीलवानी तैयारीमां होय तेवू [योग्य भेख वि० फाडवा, चीरवा के वींधवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy