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भज
भुज वि० ( समासने छेडे ) खातुं ; भोगवतुं ( २ ) शासन करतुं ( ३ ) स्त्री० उपभोग (४) फायदो; लाभ भुज पुं० बाहु; भुजा (२) हाथ (३) हाथीनी सूंढ (४)वळांक (५) भूमितिनी आकृतिनी बाजु (उदा० त्रिभुज ) भुजग पुं० सर्प; साप भुजगराज पुं० शेषनाग भुजगवलय पुं० सापने कडा तरीके पहेवो ते; साप रूपी कडुं [ नोळियो भुजगाशन पुं० मोर (२) गरुड (३) भुजगेंद्र पुं० शेषनाग भुजबंधन नं० आलिंगन भुजमध्य न० छाती भुजलता स्त्री० लांबो नाजुक हाथ भुजविनिष्पेष पुं० हाथ थाबडवा ते ( मल्ल पेठे )
भुजशालिन् वि० मजबूत भुजावाळ भुजशिखर, भुजशिरस् न० खभो भुजंग पुं० साप; नाग (२) यार; आशक; प्रीतम (३) पति ; स्वामी भुजंगकन्या स्त्री० नागकन्या भुजंगम पुं० साप भुजंगी स्त्री० नागण
भुजा स्त्री० बाहु (२) हाथ ( ३ ) सापनुं चळं (४) भूमितिनी आकृतिनी बाजु भुजाकंषु पुं० शंखनी चूडो भुजान न० हाथ ( २ ) खभो भुजाण न० पगार आपवो ते भुजांक पुं० आलिंगन भुजांतर, भुजांतराल न० छाती भुजिष्य पुं० दास; नोकर (२) साथी भुजिष्या स्त्री० दासी ( २ ) वेश्या भुवन न० ऋण के चौदमांनो कोई एक लोक (२) पृथ्वी (३) स्वर्ग (४) प्राणी (५) मानवजाति (६) पाणी (७) समृद्ध थवं ते [ आखुं भूमंडळ भुवनकोश पुं० जेमां प्राणीओ रहे छे
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भूगेह
भुवनत्रय न० स्वर्ग - पृथ्वी - पाताल के स्वर्ग - अंतरीक्ष - पृथ्वी ए ऋण लोक भुवनभावन पुं० जगतनो स्रष्टा भुवनौकस् पुं० देव [ अग्नि (४) चंद्र भुवन्यु पुं० स्वामी; मालिक (२) सूर्य (३) भुवर्, भुवस् अ० अंतरीक्ष; पृथ्वीथी तरत उपरनो लोक (भूर्भुवः - स्वः ए त्रणमांनो बीजो) (२) एक व्याहति भुविष्ठ वि० पृथ्वी उपर रहेलुं (स्वर्गमां नहि) (२) जमीन उपर ऊभेलुं (रथमां नहि ) भुशुंडि ( - डी) स्त्री० एक प्रकारनुं अग्न्यस्त्र ( २ ) चामडानी गोफण भू १ प० बनवु ; वुं ( २ ) जन्मबुं; उत्पन्न थवं (३) - मांथी नीपजवं (४) होवुं; जीवj; जीवता रहेवुं (५) कोई स्थितिमां रहेवुं (६) रहेवुं; स्थिर रहेवुं (७) -तरीके उपयोगमां आववुं (८) शकध बनवु (भविष्यकाळमां मुख्यत्वे ) ( ९ ) कारणभूत वं; निपजाववुं ( १० ) -ना पक्षमां रहेवुं ( ११ ) - नी पासे होवु; -ने प्राप्त थयेलुं हो बुं; -ने प्राप्त धनुं ( १२ ) -ना काममां रत थ; ना काममा रोकावुं के लागj (१३) (विशेषण के नाम पछी वपरातां) पहेलां नहोतुं तेवुं यतुं के बनवुं (उदा० 'भस्मीभू'; 'आविर्भू'; 'तिरोभू'; 'मिथ्या भू') (१४) १० आ० मेळवबुं (१५) १० उ० विचारवं - प्रेरक बनावबुं; निपजाववुं ( २ ) प्रगट करवुं ( ३ ) पोषणुं ; जोगववु ; टैकaj (४) मानवु ; विचारखुं; कल्पवुं (५) साबित करवुं ( ६ ) शुद्ध करवुं ( ७ ) भावना देवी (८) भेळवj ( प्रवाही) भू वि० ( समासने छेडे ) बनतु; होतु; - मांथी नीपजतुं (उदा० ' मनोभू') भू स्त्री० पृथ्वी ( २ ) प्रदेश ; स्थळ ( ३ ) भोयतळ ( मकाननुं)
भूकंप पुं० धरतीकंप भूगृह, भूगेह न० जमीन नीचेनो ओरडो;
[ भोंय
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