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________________ ३५४ भज HTTufataff भिन्नकट भिन्नकट वि० मदोन्मत्त भिन्नगति वि० वेगे जतु (२) लयडियां खातुं खातुं जतु होय तेवू भिन्नदेश वि० जुदां जुदां स्थानभिन्नमर्याद वि० मर्यादान उल्लंघन करनारुं (२) अनियंत्रित भिन्नमंत्र वि० जेणे गुप्त वात खुल्ली पाडी दीधी होय तेवू भिन्नरुचि वि० जुदी जुदी रुचिवाळू भिन्नवर्ण वि० रंग ऊडी गयो होय तेQ (२) जुदा वर्णन के जाति, भिन्नवृत्त वि० दुराचरणी (२) वृत्त के छंदमां दोषवाळं (काव्य) भिन्नवृत्ति वि० दुराचरणी (२) जदी जुदी रुचि के लागणीओवाळ (३)जुदी जदी आजीविकावाळ [तेवू भिन्नहृदय वि० हृदय वींधाई गयं होय भिन्नार्थ वि० स्पष्ट समजाय तेवू भिन्नार्थम् अ० स्पष्टपणे समजाय तेम भिन्नांजन न० घणा पदार्यो भेगा करीने बनावेलं आंजण भिल्ल पुं० एक वन्य जाति; भील भिषज् पुं० वैद्य ; हकीम (२) औषध भिषज्य न० उपचार; उपाय (२) मटाडवू के रुझाव ते भिंड पुं०, भिडा स्त्री०, भिडाक पुं० भीडीनो छोड (जेना रेसा कढाय छे)। भिंदपाल, भिदिपाल पुं० हाथथी फेंकवानुं नानी कटार जेवू अस्त्र (२)गोफण भी ३,१०प० बी; भय पामवो भी स्त्री० बीक; भय भीत ('भी' नुं भू० कृ०) वि० बीनेलं (२) बीकण (३)जोखममां मुकायेलं भीतचारिन् वि० बीतां बीतां वर्ततुं भीतभीत वि० घणुं ज बीनेलं (२) बीनेला जेवू भीतंकार वि० भयंकर; डर उपजावे तेवं भीतंकारम् अ० डरपोक कहीन भीति स्त्री० भय ; डर(२)जोखम भीतिनाटितक न० डरनो अभिनय भीम वि० भयंकर(२)पुं०पांच पांडवो मांनो बीजो भीमकर्मन् वि० भयंकर ताकातवाळू भीमनाद वि० भयंकर अवाजवाळू (२) पुं० भयंकर अवाज भीमरूप वि० भयंकर देखाववाळू भीमसेन पुं० पांडुपुत्र भीम भीर वि० बीकण ; डरपोक (२) (समा समां)-थी डरतुं भीरुक वि० बीकण ; डरपोक(२)बीनेलं भीरू (-ल) स्त्री० बीकण स्त्री (२) बीनेली स्त्री भीषण, भीषणक वि० भयंकर भीष्म वि० भयंकर; बिहामणुं (२)पुं० शंतनु – गंगाना पुत्र, भीष्मपितामह भीष्मक पुं० भीष्मपितामह (२) रुक्मिणीनो पिता (विदर्भनो राजा) भुक्त ('भुज्' ७ उ० नुं भू० कृ०) वि० खाधेलु/(२)भोगवेलुं; उपभोग करेलु (३)वेठेलं; अनुभवेलु (४)न० खावू ते; भोगवq ते (५) खाधेलु ते; भोजन (६)ज्यां कोईए खा, होय ते स्थान भुक्तभोग वि० जेणे भोगव्यु के अनु भव्यु होय तेवू (२) भोगवेलु ; वापरेलु भुक्तशेष वि० खातां वघेलं; उच्छिष्ट भुक्तसुप्त वि० भोजन बाद सूतेलं भुक्ति स्त्री० भोजन; उपभोग (२) भोगवटो; मालकी (३) अन्न (४) सीमा; हद (५) ग्रहनो रोजनी गति भुक्तिजित वि० भोगववा न दीधेल भुग्न ('भुज् '६५० नु० भू० कृ०) वि० नमेलु; नीचं वळेलु; वांकु (२) भग्न (३) हताश; भागी पडेलं भुन् ६ प० वांकुं वळवू (२) वांकु वाळवं (३)७ उ० खावु (४) उपभोग करवो; भोगवद् (५) शासन कर; राज्य करवु (६) वेठवू; अनुभव 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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