________________
प्रशावाद
३००
प्रणिपातप्रतीकार प्रज्ञावाव पुं० पंडिताईनां वचन
प्रणयिन् वि० स्नेह - प्रीतिवाळु; प्रेमी प्रज्ञासहाय वि० डाह्यु; शाणुं
(२) -नी इच्छावाळं; -ने झंखतुं प्रज्वल १ प० प्रज्वलित थq; सळगवू (३) परिचित (४) पुं० मित्र; प्रेमी; प्रज्वलित वि० सळगी ऊठेलु; सळगतुं साथी (५) पति; प्रियतम (६) (२) चळकतुं; प्रकाशित
याचक (७) भक्त प्रडीन ('प्र+डी' न भू.कृ०) वि० प्रणयिनी स्त्री० प्रेयसी ; पत्नी ; सखी दरेक दिशामां ऊडतुं (२) आगळनी प्रणयोन्मुख वि० पोतानो प्रेम प्रगट तरफ ऊडतुं
करवाने उत्सुक एवं प्रणत वि० नीचुं नमेल (२) नमस्कार
प्रणव पुं० ॐकार करतुं (३) चतुर; निपुण (४)वांकु
प्रणश् ४ प० नाश पाम (२) देखाता प्रणति स्त्री० नमस्कार; प्रणाम (२)
बंध थ (३) नासी छूटवू नम्रता; विनय
प्रणाद पुं० मोटो अवाज (२) गर्जना
प्रणाम पुं० नमस्कार; नमन प्रण १ प० गाजवू; अवाज करवो प्रणदित वि० गाजतुं (२) गुंजारव करतुं
प्रणामांजलि पुं० बे हाथ जोडीने करेला
प्रणाम प्रणम् १५० प्रणाम करवा ; वंदन कर;
. [आगेवान नीचा नमवं. [आदरथी आपेलु
प्रणायक पुं० सेनापति (२)मार्गदर्शक;
प्रणाय्य वि. वहालं ; प्रिय (२) प्रमाप्रणमित वि० नमेलु (२) नम्रताथी के
णिक (३) विरक्त प्रणय पुं० ग्रहण करवू के स्वीकार ते
प्रणाल पु०, प्रणालिका, प्रणाली स्त्री० (लग्नमां) (२)प्रेम;त्रीति (३) इच्छा;
परनाळ ; पाणीनो मार्ग (२) परंपरा कामना (४) मित्रता (५) परिचय;
प्रणाश पुं० विनाश (२) मृत्यु विश्वास (६) कृपा (७) विनंति (८)
प्रणाशन वि० नाश करनाएं (२) न० आदर [देखावनी तकरार
विनाश; ध्वंस प्रणयकलह पुं० प्रेमनी तकरार ; मात्र
प्रणिगद् १५० जाहेर करवू; जणाव, प्रणयकुपित वि० प्रेमने कारणे गुस्से
प्रणिधा २ उ० मूकवू; नीचे मूकवू (२) थयेलु; गुस्सानो देखाव करतुं
जडवू; सज्जड चोटाडवू (३) -नी प्रणयन न० लावq- दोरवं ते (२)
उपर नाखवू - स्थिर कर (४) अमलमां मूकवू ते; आचरवं ते (३)
फेलावq(५)मोकलq(६)उपयोग करवो लखवं ते (४) फरमाव ते (सजा)
प्रणिधान न० उपयोग (२) महाप्रयत्न; प्रणयपेशल वि० प्रेमथी आर्द्र बनेल उद्यम (३) गाढ चिंतन; समाधि (४) प्रणयप्रकर्ष पुं०. अत्यंत प्रेम ; आसक्ति
कर्मफलनो त्याग प्रणयभंग पुं० प्रेमनो भग'; बेवफापणुं प्रणिधि पुं० जासूस; बातमीदार (२) प्रणयविघात पुं० (विनंतिनो) अस्वीकार अनुचर (३) प्रार्थना; विनंती प्रणयविमुख वि० प्रेममांथी के मित्रता- प्रणिधेय न० जासूस के बातमीदार मांथी विमुख बनेलं
मोकलवा ते (२) उपयोगमा लेवू ते प्रणयस्पश वि० प्रेमथी प्रेरायेलं; प्रेमा
प्रणिपत् १ प० प्रणाम करवा प्रणयापराध पुं० प्रेम के परिचयनो प्रणिपतन न०, प्रणिपात पुं० प्रणाम भंग; बेवफापणुं
प्रणिपातप्रतीकार वि० नमनथी जेनो प्रणयिता स्त्री प्रेम; आसक्ति
उपाय थई शके तेवू
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org