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________________ उपकल्पन १०१ उपचय उपकल्पन न० तैयार करवू ते (२) उपक्षय पुं० नुकसान ; हानि (२) खर्च अवेजीमां मूक ते उपक्षिप् ६५० फेंकवु (२)ठपको देवो; उपकंठ वि० समीप; नजीक (२) पुं०, न० आळ मुकवू (३) सूचवq; इशारो सांनिध्य (३)गामनी नजीकनो भाग करवो (४) मांडवू; आरंभq उपकंठम् अ० गळे (२) नजीक उपक्षेप पुं० सामे फेंकवु ते (२)सूचन; उपकार पुं० भलं करवं ते ; कल्याण (२) । इशारो; उल्लेख (३)आक्षेप ; धमकी; मदद ; सहाय (३) शोभा; शणगार . आळ (४) आरंभ पामनाएं उपकार्या स्त्री० राजमहेल ; शाही तंबू उपग वि० (समासने अंते) पासे जनालं; उपकीर्ण वि० उपर विखरेलुं होय तेवू; उपगत वि. पहोंचेलपासे आवेलु;मळेलु छवायेलं (२) अनुभवेलु (३) बनेल (४) युक्त; उपकलम् अ० किनारे; किनारा उपर सहित (५) स्वीकारेल (६) मरण पामेलु उपकृ ८ उ० [उपकरोति, उपकुरुते] पूरुं उपगम् १५० [उपगच्छति पासे जq; पाडवू; लावी आपq (२) उपकार आववं (२)पामवं; मळवू;प्राप्त कर करवो; मदद करवी; सेवा करवी (३) (३) माथे लेवू; स्वीकार | उपस्करोति, उपस्कुरुते ] पूरुं पाडवं उपगम पुं०, उपगमन न० नजीक जबुं ते (४) सेवा करवी (५) शणगारवं; शोभा (२) ज्ञान; परिचय (३)प्राप्ति (४) करवी उपकार वचन; करार (५) संग; समागम (६) उपकृत न०, उपकृति स्त्री० मदद ; स्वीकार (७) अनुभव - सहवं ते उपगीत वि० चारणोए गायेलू - वखाणेलं उपक ६ ५० उपकिरति वेर (२) [उपस्किरति कापवं; चीरवं उपगुह, १ आ० [उपग्रहते ] भेटवं; आलिंगन करवू (२) संताडवू उपक्लप १ आ० योग्य होवू (२) तैयार उपगूढ वि० छुपायेलु (२) आलिंगेलं; होवू (३)-मां परिणम ; फळ आवq पकडेलु (३) न० आलिंगन (४) थq; बनवू उपग १५० कोईने गाई संभळाववं (२) -प्रेरक० तैयार करवू (२) नियत गीतमा गाईने वखाणQ। करवं; नक्की करवं (३) कल्पवु; मानवू उपग्रह, ९ प० [उपगृह्णाति - गृह्णीते) उपक्लुप्त वि० नजीक लवायेलु (२) पकडq; लेवू ; मेळवद् (२)ताबे करवं; तैयार करेलु ; बनावेलु (३) गौण । समजाव;मेळवी लेवु (३)कबूल राखq उपक्रम् १ आ० [उपक्रमते), ४ प० उप उपग्रह पुं० केदमां नाखवू ते (२) पराभव क्राम्यति नजीक जवु (२)आचरवू; (३) केदी (४) समाधान; संधि (५) करवा मांडवु (३) आरंभ करवो (४) अनुकूळता; सहानुभूति (६)प्रोत्साहन; हुमलो करवो- सामु थवं उपक्रम पुं० आरंभ; शरूआत (२)पासे - उपग्रहण न० पकडवं ते (२) स्वीकारवं ते आगळ आवद् ते (३)योजना; उपाय(४) उपग्राह पुं० उपहार; भेट माहस के योजनापूर्वक आरंभेलं कार्य उपघात पुं० ईजा; हानि (२)नाश (३) उपक्रमणिका स्त्री० प्रस्तावना (ग्रंथनी) रोग(४)पोतानुं कार्य करवानुं असामर्थ्य उपक्रांत वि० प्रारंभेलु उपघ्न पुं० लगोलगनो आधार - आश्रय उपक्रोश पुं०, उपक्रोशन न० ठपको उपचय पुं० संचय; वधारो; उमेरो (२) उपक्रोष्ट्र वि० ठपको आपतुं; निंदा करतुं जथो; ढगलो (३)आबादी; उन्नति । मदद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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