________________
उपवा
उपचर् उपचर १५० सेवा करवी(२)पूजा करवी (३) वर्त; वर्तन राखq (४) शुश्रूषा करवी (रोगीनी) उपचर्या स्त्री० सेवाशुश्रुषा (रोगीनी) उपचार पुं० सेवाशुश्रूषा (२)सारवार; चिकित्सा (३) शिष्टाचार; सम्यता (४) समान ; सत्कार (५) व्यवहार; अनुष्ठान (६) पूजा-सत्कारनो विधि; तेनी साधन-सामग्री (७) लक्षणा द्वारा अर्थबोध थवो ते उपचारिक वि० उपयोगी; साधनरूप उपचि ५ उ० संग्रह करवा;वधारवू (२) एकळु करवं-वीणq (३) उपर एकळु थq; छवावं उपचित वि० एकळु करेलु ; संचित (२) वधेलं; मोटु थयेलु (३) मजबूत थयेलं; शक्तिमां वधेलु (४) खूब लगाडेलुचोपडे लं
[उन्नति उपचिति स्त्री० संग्रह ; वृद्धि (२) लाभ; उपच्छंद् १० प० समजाव;लोभाव;
मनाव उपच्छंदन न० फोसलावq ते; मनाव ते उपजन् ४ आ० उपजायते जन्म'; उत्पन्न थq (२) बनवु;यq (३) फरीथी जन्मवं उपजल्पित न० वातचीत उपजल्पिन् वि० सलाह - उपदेश आपतुं उपजात वि० जन्मेलु; थयेलं; बनेल उपजाप पुं० कानमां गुसपुस करवी ते
(२) छानी मसलतथी उश्केर ते उपजीव १ प० -ने आश्रये जीवq - निर्वाह करवो (२)-नो आधार लेवो; -माथी आधार मेळववो उपजीवन न०, उपजीविका स्त्री०
आजीविका; निर्वाह उपजीविन् वि० -ने आधारे जीवनाएं उपजुष्ट वि० सेवायेलं उपजोष पुं०, उपजोषण न० प्रीति; मरजी (२) उपभोग; सेवन
उपजोषम् अ० मरजी मुजब; खुशी प्रमाणे (२) चूपकीथी; मौन रहीने उपज्ञा स्त्री० कोईए शीखव्या विना पोते नवं विचारी काढेलु ज्ञान (समासमां; ते पछी नपुंसक जातिनुं नाम गणाय छे; उदा० 'स्वोपज्ञ') (२) पहेलां न करायेली वस्तु शरू करवी ते करवू उपढौक -प्रेरक० नजराणा तरीके रज उपतप १५० गरम करव:तपावq (२) 'दुःख दे, (३) तप ; दुःखी थवु उपताप पुं० ताप; गरमी (२) दुःख ; क्लेश ; संकट ; बीमारी ( ३ ) उतावळ उपतापिन वि० गरम करनारूं; संताप आपनाएं (२) ताप सहन करनारे; संताप पामनाएं (३) बीमार ; मांदु उपतीर्थ न० ओवारो; किनारो उपत्यका स्त्री० पर्वतनी तळेटीनी
नीचाणनी जमीन उपदर्शक वि० बतावना; देखाडनाएं उपदंश पुं० भूख के तरस उत्तेजनार चटणी वगेरे स्वादु पदार्थ (२) दंश; डंख (३) एक रोग - चांदी उपदा स्त्री० भेट ; नजराणु उपदिश ६ प० उपदेश करवो; शीख व (२) दर्शावq; कहेवू (३) विधान करवु;
[(३) कहेलु उपदिष्ट वि० उपदेशेलं (२) दर्शावेलं उपदेश पुं० बोध; शिखामण (२)शिक्षण
(३)निर्देश ; सूचन (४) बहानु; मिष उपदेष्ट पुं० उपदेशक ; गुरु; आचार्य उपद्रव पुं० संकट ; आपत्ति (२) ईजा पीडा ; नुकसान (३) सार्वजनिक संकट (आसमानी के सुलतानी) (४) हुल्लड उपद्रष्ट वि० नजीकमां रहीने जोनारूं; साक्षी
हुमलो करवो उपद्रु १ प० –नी तरफ दोडवू (२) उपवत वि० उपद्रवथी पीडित उपधा ३ उ० उपर, नीचे के अंदर मूकवं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org