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जैन पारिभाषिक शब्दकोश
आहारक लब्धि से निर्मित किया जाने वाला शरीर । 'आहारए' त्ति तथाविधकार्योत्पत्तौ चतुर्दशपूर्वविदा योगबाह्रियते । (स्था ५.२५ वृ प २८१)
आहारकशरीरबंधननाम
नामकर्म की एक प्रकृति, जिसके उदय से गृहीत और गृह्यमाण आहारक शरीर के पुद्गलों का परस्पर तथा तैजस और कर्मणशरीर के साथ संबंध स्थापित होता है । यदुदयादाहारकशरीरपुद्गलानां गृहीतानां गृह्यमाणानां च परस्परं तैजसकार्मणपुद्गलैश्च सह सम्बन्धस्तदाहारक(प्रज्ञा २३.४३ वृ प ४७० )
बन्धनम् ।
आहारक समुद्घात
आहारक शरीर के निर्माण और सम्प्रेषण के समय आत्मप्रदेशों को शरीर से बाहर निकालना । यह आहारक समुद्घात शरीरनामकर्म के आश्रित होता है । आहारकसमुद्घातः शरीरनामकर्माश्रयः ।
(सम ७.२ वृ प १२) .....वैक्रिय-आहारक-तैजसनामकर्माश्रयाः वैक्रियआहारक(जैसिदी ७.३० वृ)
तैजसाः । आहारपर्याप्ति
छह पर्याप्तियों में प्रथम पर्याप्ति । आहार के योग्य पुद्गलों का ग्रहण, परिणमन और उत्सर्जन करने वाली पौद्गलिक शक्ति अथवा जीवनीशक्ति का स्रोत ।
आहारपज्जत्ती णाम खलरसपरिणामसत्ती ।
(नन्दीचू पृ २२)
आहारप्रायोग्य-पुद्गल-ग्रहण-परिणमनोत्सर्गरूपं पौद्गलिकसामर्थ्योत्पादनम् आहारपर्याप्तिः ।
(जैसिदी ३.११ वृ)
आहारसंज्ञा
क्षुधावेदनीय कर्म के उदय से होने वाला क्षुधा का अभिलाषात्मक संवेदन ।
क्षुद्वेदनीयोदयात् या कवलाद्याहारार्थं तथाविधपुद्गलोपादानक्रिया साऽऽहारसंज्ञा । (प्रज्ञा ८.११ वृप २२२ ) आहारसमिति योग
अहिंसा महाव्रत की एक भावना। शुद्ध आहार की गवेषणा
करना ।
आहारएसणाए सुद्धं उछं गवेसियव्वं....एवं आहारसमिति
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जोगेण भावितो भवति अंतरप्पा ।
इ
इङ्गिताकारसम्पन्न
वह शिष्य, जो गुरु के इङ्गित- प्रवृत्ति - निवृत्ति मूलक सिर हिलाना आदि सूक्ष्म संकेत तथा आकार - दिशावलोकन आदि स्थूल संकेत को जानता है अथवा गुरु के मनोभावों को जानता है।
( प्रश्न ६.२० )
1
इङ्गितं—निपुणमतिगम्यं प्रवृत्तिनिवृत्तिसूचकमीषद् भ्रूशिरःकम्पादि, आकारः - स्थूलधीसंवेद्यः प्रस्थानादिभावाभिव्यञ्जको दिगवलोकनादिः । अनयोर्द्वन्द्वे इङ्गिताकारौ तौ अर्थाद् गुरुतौ सम्यक् प्रकर्षेण जानाति इङ्गिताकारसम्प्रज्ञः । यद्वा इङ्गिताकाराभ्यां गुरुगतभावपरिज्ञानमेव कारणे कार्योपचाराद् इङ्गिताकारशब्देनोक्तं तेन सम्पन्नो – युक्तः ।
( उ १.२ शावृ प ४४)
इङ्गिताकारसम्प्रज्ञ
(द्र इङ्गिताकारसम्पन्न )
इङ्गिनीमरण
यावत्कथिक अनशन का दूसरा प्रकार, जिसमें प्रतिनियत स्थान पर रहकर प्रवृत्ति करने का संकल्प होता है। इङ्ग्यते प्रतिनियतदेश एव चेष्ट्यतेऽस्यामनशनक्रियायामितीङ्गिनी तया मरणमिङ्गिनीमरणम् ।
(सम १७.९ वृ प ३३)
(द्र प्रायोपगमन अनशन )
इच्छाकाम
स्वर्ण आदि पदार्थों को प्राप्त करने की कामना । इच्छाकामः – स्वर्णादिपदार्थप्राप्तेः कामना ।
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( उ १.२ शावृ प ४४)
(आभा २.१२१)
(द्र मदनकाम)
इच्छाकार सामाचारी
सामाचारी का एक प्रकार सारणा ( औचित्य से कार्य करने और कराने) में इच्छाकार का प्रयोग करना- आपकी इच्छा हो तो मैं आपका कार्य करूं। आपकी इच्छा हो तो कृपया अमुक कार्य करें।
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