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वीकार की जाव, तो ब्राह्मणान्तर्गत वेदार्थ की कितनी सत्यता प्रकाशित होती है। देखो निम्नलिखित स्थल
अश्मानं चित्स्वर्य१ पर्वतं गिरिम् । ऋ० ५।५६।४॥ मैक्समूलर*-the rocky mountain (cloud) ग्रिफिथ-the rocky mountain. पर्वतो गिरिः । ऋ० ११३७७॥ मैक्समूलर-the gnarled cloud, यदद्रयः पर्वताः । ऋ० १०९४॥१॥ शतपथ में कहा हैगिरिर्वा अद्रिः ।७।५।२।१८॥ तथा ऋग्वेद में कहा हैवराहं तिरो अद्रिमस्ता ॥२६११७॥
ग्रिफिथ-... . the wild boar, shooting through the mountain.
अतः निघण्टु १।१०॥ में भी कहा हैअद्रिः । पर्वतः+ । गिरिः। वराहः। इति मेघनामानि ।
इस लिये इनको पर्याय मानने में ग्रिफिथ को आपत्ति न माननी चाहिये थी। तथा य.दे ऋग्वेद में
इन्द्रेण वायुना । १ । १४ । १० ॥
एष इन्द्राय वायवे स्वर्जित्परि षिच्यते ।९।२७॥२॥ ऐसे मत्र आजावें, जिनमें निश्चय ही इन्द्र को वायु का विशेषण बनाया गया है, तो कई स्थलों म इन्द्र का अर्थ वायु भी होसकता है। ब्राह्मण में भी यही कहा है
यो वै वायुः स इन्द्रो य इन्द्रः स वायुः । श०४।१।३।१९।। * S. B. E. वैदिक हिम्स पृ० ३३७ ।
* यदि मैकडानल अपनी Vedic Reader ११८५/१०॥ में पर्वतम् का मूल में ही mountain की अपेक्षा cloud-मेघ अर्थ करता और टिप्पण में cloud mountain लिखने का कष्ट न उठाता, तो उसका अनुवाद, इस अंश में युक्त होजाता।
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