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अब देखो पाश्रात्य लोग इसी बात से भयभीत होकर इस मन्त्र के अर्थ में कैसी कल्पना करते हैं।
१-हर्मन ओल्डनबर्ग S. B. E. vol. XLVI, Hymms to Agni, पृ. १ पर लिखता है
Agni, whatever sacrifice and worship' thou encompassest on every side,
___Note 1. 'Worship' is a very inadequate translation of अध्वर, which is nearly a synonym of यज्ञ.. . . . . . . . Prof. Max Muller writes: 'I accept the native explanation अ-ध्वर, without a law, perfect whole, holy.' ___२-ग्रिफिथ अपने वेदानुवाद में लिखता है
Agni, the perfect sacrifice which thou encompassest about.
३-आर्थर एननि मैकडानल अपनी Vedic Reader पृ० ६ पर लिखता है
O Agni, the worship and sacrifice that thou encompassest on every side, 794 374424-again coordination with च; the former has a wider sense-worship (prayer and offering); the latter-sacrificial act.
यहां ओल्डनबर्ग और प्रायः उसी की प्रतिध्वनि करने वाला मैकडानल च का अध्याहार करते हैं । वे दोनों इस स्थान में अध्वर और यज्ञ को विशेष्य विशेषण नहीं मानते।
ग्रिफिथ महाशय भारत में रहे । वे काशीस्थ पण्डितों से सहायता भी लेते थे। इसी लिये उन्हें पाश्चात्य पद्धति सर्वत्र रुचिकर नहीं लगी । वे अध्वर को यहाँ विशेषण ही मानते हैं । मैक्समूलरवत् वे इसका अर्थ perfect = पूर्ण करते हैं।
ग्रिफिथ महाशय के सम्बन्ध में हम इतना ही कहेंगे कि जैसे इस अध्वर विशेषण को अन्य स्थलों* में वे यसवाची ही मान कर अर्थ करते हैं, वैसे यदि अन्य विशेष्य विशेषणों में से प्रकरणानुकूल कुछ विशेषणों को उन के विशेष्यों का पर्याय ही मान लेते, तो इस में क्या आपत्ति थी। यदि हमारी बात जो सर्वथैव युक्तियुक्त है
*३० २।१८॥ १।१४।११॥ इत्यादि ।
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