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२१-पाचेतस श्राद्ध कल्प
वाल्मीकि रामायण निश्चय ही महाभारत से बहुत पहले काल का ग्रन्थ है । अतः --
३०-वाल्मीकि रामायण* ---इत्यादि ।
कहां तक गिनाव महाभारत काल से सहस्रों लाखों वर्ष पहले आर्यों के वाङ्मय में प्रायः सब ही विद्याओं के ग्रन्थ थे । आर्यों में जब कोई
नाविद्वान् ।
*महाशय हेमचन्द्र राय चौधुरी अपन ग्रन्थ Political listory of Ancient India (सन् १९२३) में लिखते हैं-but large portions of which ( Ramayana etc.), in the opinions of competent crities, belong to the post-Bimbasurian period. The present Ramayana not only mentions Budiha Tathagat ( II. 109.3.4) etc. P. iii.
चौधुरी महाशय जैसे विद्वानों को इतनी शीघ्रता से सम्मति न देनी चाहिये था । रामायण के कुछ श्लोक प्रक्षिप्त तो अवश्य हैं, पर रामायण का अधिकांश भाग ऐसा नहीं । न ही रामायण महाभारत काल से पीछे का ग्रन्थ है । जो श्लोकयथा हि चोरः स तथा हि बुद्धः तथागतं नास्तिकमत्र विद्धि :
उन्हों ने प्रमाणरूपेण उद्धृत किया है, वह वङ्ग शाखीय वा पश्चिमोत्तर रामायणों में नहीं है । देखो दोना रामायणों का अयोध्याकाण्ड, क्रमशः सर्ग ११८ और १२२ ।
ऐसे ही चौधुरी महाशय पृ० ११ पर रामायण अयोध्याकाण्ड (II.61.42) का प्रमाण “जनमेजय" के विषय में देते हैं।
यां गतिं सगरः शैव्यो दिलीपो जनमेजयः ।
यह श्लोक भी दोनों अन्य शाखाओं में नहीं मिलता । देखो क्रमशः सर्ग ६६ और ७० ।
विना पूरा प्रमाण देखे, इसी प्रकार सम्मतियां बना लेना विद्वानों को उचित नहीं है।
वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड ६ ॥ ८॥ छान्दोग्य उपनिषद् ५ । ११ ॥ ५ ॥ महाभारत शान्तिपर्व ७७ ॥ ९ ॥
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