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(झ) सामाविधान ब्राह्मण ३ । ९ । ३ ।। में एक वंश कहा है । वह निम्नलिखित प्रकार से हैं---
(१) प्रजापति
(२) बृहस्पति
(३) नारद
(४) विष्वक्सेन
(५) व्यास पाराशर्य
(६) जैमिनि
(७) पापिण्ड्य
(८) पाराशायण
(१) बादरायण
(१०) ताण्डि (११) शाट्यायनि इन्हीं अन्तिम दो व्यक्तियों ने ताण्ड्य और शाट्यायन ब्राह्मणों का प्रवचन किया था । ये आचार्य पाराशर्य व्यास से कुछ ही पीछे के हैं । अतः इनके कहे हुए ब्राह्मणग्रन्थ भी महाभारत कालीन ही हैं । सम्भवतः शतपथ ६ । १ । २ । २५ ॥ में
अथ ह स्माह ताण्ड्यः । जिस ताण्ड्य का कथन है, वह इसी का सम्बन्धी है ।
(ञ) पं. अभयकुमार गुह ने सन् १९२१ में एक ग्रन्थ लिखा था । नाम है उसका Jivatman in the Brahma Sutras. इस ग्रन्थ में एक विषय का बड़ा अच्छा प्रतिपादन है । गुह महाशय ने यह सिद्ध कर दिया है कि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास और बादरायण एक ही व्यक्ति थे। हम इस विषय में गुह की युक्तियों से पूरे सहमत हैं । वेदान्तसूत्र, वेदव्यास का अन्तिम ग्रन्थ प्रतीत होता है । वेदान्त सूत्रों में उपनिषदों, आरण्यकों, ब्राह्मणों और मन्त्र संहिताओं का स्पष्ट कथन किया गया है
देखो१-ईक्षतेर्ना शब्दम् । १।१।५॥
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