________________
(२) मामांसा सूत्र ईसा से सैंकड़ों वर्ष पहले विद्यमान थे । शङ्कर, वेदान्त. सूत्र ३ । ३ । ५३ ॥ के प्रमाण से कीथ स्वयं मानता है कि भगवान उपवर्ष ने मामांसा सूत्रों पर भाष्य लिखा । शङ्कर ही नहीं कौशिक सूत्र पद्धतिकार आथर्वणिक केशव भी मामांसा भाष्यकार उपवर्ष का स्मरण करता है
उपवर्षाचार्येणोक्तं । मीमांसायां स्मृतिपादे कल्पसूत्राधिकरणे ............इति भगवानुपवर्षाचार्येण ()प्रतिपादितं ।
( कौशिकसूत्र, पृ० ३०७) यह भगवान् उपवर्ष पाणिनि से पहले हो चुका था । कथासरित्सागर आदि के अनुसार तो यह पाणिनि का गुरु वा गुरुभ्राता था । उपवर्ष पाणिनि से पूर्व हो चुका था, इस में एक और भी प्रमाण है । राजशेखर (नवम शताब्दी ) अपनी काव्यमीमांसा पृ० ५५ में लिखता है
श्रूयते च पाटलिपुत्रे शास्त्रकारपरीक्षाअत्रोपवर्षवर्षाविह पाणिनिपिङ्गलाविह व्याडिः । बररुचिपतञ्जली इह परीक्षिताः ख्यातिमुपजग्मुः ।।
इस श्लोक में सारे शास्त्रकारों के नाम काल-क्रम से ही आये हैं पतञ्जलि से पहले वररुचि, और उससे कुछ पहले होने वाले वा साथी पाणिनि और पिङ्गल* थे। इनसे कुछ पहले वर्ष, और उपवर्ष थे । यही उपवर्ष शास्त्रकार है। इसी ने मामांसा सूत्रों पर आदि भाष्य लिखा था ।
प्रश्न-यह उपवर्ष कोई और शास्त्रकार होगा।
उत्तर---यदि यह कोई और शास्त्रकार है, तो इस के शास्त्र का कोई उद्धरण कोई पता, कोई चिन्ह चक्र बताओ । जब तुम यह बता ही नहीं सकते, तो ऐसी अलीकतम कल्पनाओं से परे रही ।
प्रश्न-राजशेखरप्रदर्शित श्लोक में आने वाले नाम काल-क्रमानुसार नहीं हैं। . उत्तर-ऐमे ही पूर्व पक्षों से तुम्हारा हठ और दुराग्रह सिद्ध होता है । जब शेष सब नाम काल-क्रमानुसार है, तो पहले दो नामों के ऐसा होने में क्या सन्देह है ? और जब आद्यन्त आर्य ऐतिध भी यही मानता है, तो तुम्हारे इस कहने से क्या ? योरूप में तुम पण्डित बने रहो । आर्यावत्तीय विद्वान् तुम्हारा कुछ सम्मान न करेंगे।
* आचार्य पिझल पाणिनि का कनिष्ठ भ्राता था । देखो ! मेरा लेख, मासिक पत्र आर्य, आषाढ ११२२ पृ. २६-२९, लाहौर ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org