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ब्राह्मण भी महाभारत कालीन ही है । जैमिनि ब्राह्मण में भी अनेक नाम ऐसे हैं जो केवल महाभारत कालीन ही हैं | विस्तरभय से यहां नहीं दिये गए । विद्वान् लोग उन्हें स्वयं देखलें।
इन्हीं भगवान् जमिनि ने मीमांसा शास्त्र भी बनाया था । इसी कारण जैमिनि ब्राह्मण के कई हस्तलेखों के प्रारम्भ में प्राचीन परम्परागत ऐतियका द्योतक यह श्लोक विद्यमान है
उअहारागमाम्भोधेर्यो धर्मामृतमञ्जसा । न्यायनिर्मथ्य भगवान् स प्रसीदतु जैमिनिः॥
प्रश्न-इलैण्ड के प्रसिद्ध संस्कृतज्ञ आर्थर बैरीडेल काथ अपने पुस्तक 'The Karma Mimansa (सन् १९२१) पृ ४---५ पर लिखते हैं
A Jaimini is credited with the authorship of a Sranta and a Grhya Sutra, and the name occurs in lists of doubt. ful anthenticity in Asvalayana and Sankhayana Grhya Sutras; a Jaiminiya Samhita and a Jaiminiya Brahmana of the Sama Veda are extant
It is, then, il plausible conclusion that the Mimansa Sutrar does not. date after 2010 A. D., but that it is probably not much earlier. . . . . . . . . . . . . . . .
उनके इस लेख के भावानुसार( १ ) जैमिनि ब्राह्मण का प्रवत्ता जैमिनि, मीमांसा सूत्रों का प्रणेता नहीं। ( २ ) मीमांसा सूत्र ईसा की पहली या दूसरी शताब्दी में ही बने थे । इत्यादि क्या कीथ महाशय का यह सब भाव सत्य है ?
उत्तर--कीथ महाशय का यह कथन सत्य तो क्या, सत्य से कोसों दूर है। क्योंकि
(१) जैमिनि ब्राह्मण के अनेक हस्तलेखों के आरम्भ में आने वाला जो लोक हम पूर्व उद्धृत कर चुके हैं, वह परम्परागत ऐति का स्पष्ट द्योतक है । और आर्यावर्त के पण्डित आज तक अविच्छिन्न रूप से इसे मानते आये हैं कि तलवकार ब्राह्मण का प्रवक्ता, भगवान् वेदव्यास का शिष्य जैमिनि ही मीमांसा सूत्रों का प्रणेता था | कीथ साहेब के भ्रम का कारण यह है कि वे मीमांसा सूत्रों को ईसा की पहली व दूसरी शताब्दी में रचा गया मानते हैं ।
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