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________________ ૧૯૦ पुरिल्लदेव-पुरिल्लदेव-पुरातनदेव । पुरुपुरिआ-पुरुपुरिआ-पुरस्पुरिका । अहं पुरः अहं पुरः यस्यां प्रवृत्तौ-रे प्रवृत्तिमा पहेस पहेलो' मेयु मोसवामां आवे ते पुरस्परिकापुरस्पुरस्+इक । "पुरुपुरिका-पुरुपुर+इका-G||० १७ गा० ५१८-पुरिल्लपहाणा-पुरिल्लपहाणा-पुरातनप्रधाना । पूणी-पूणी-पुण्यिका-पुण्य-इका-पवित्र वा पूर्णिका-पूर्ण+इका-सुथी पूरा भरेव . . पूण-पूण-पवन । दीर्घपवन शहने हाथाना ५५३५ मलिधान यिताમણિની શેષનામમાલામાં જણાવેલ છે. એથી પવન” શબ્દને પણ અહીં* हाथाना पथभा मतावेस छे. "असुरः दीर्घपवनः शुण्डालः' भनिधान शेषनाममाता तिर्यक्काण्ड-लो० १७७ . पूरी-पूरी-पूरी । पूअ-पूअ-पूत । ही पवित्र मनाय छे. .पूरण-पूरण-पूरण । गा० ५१९-पूरोढी-पूरोढी-पूरोढी । पुरा+ऊढी। पडेलi -वडेवा ।-3401 ११ .-न्याने साथी पहली 1 6वामां मावे छे. पुरा+ऊढीपूरोढी (षो०) पूंडरिअ-पूंडरिअ-पुण्डरीक । पेसण-पेसण-प्रेषण पेल्लिय-पेल्लिय-पेलित-पेल्+इत । पेल गतौ । पीलित-पील+इत । पील् प्रतिष्टम्भे । पीडित-पीड्-इत । पीड् बाधायाम् । पेयाल-पेयाल-मेयाल- [ मेयेन अलति शोभते मेयालम् । मेय+अल+अ । पेज्जल-पेज्जल-मेयाल-1 अल् वारणे भूषणे पर्याप्तौ च । न शाने ते भेय गा० ५२०-पेरिज्ज-पेरिज्ज-प्रेयं । पेच्छअ-पेच्छअ-प्रेक्षक । पेहुण-पेडुण-पेखुण । पेंडल-पेंडल-पिण्डल। .पेंडार - पेंडार-पिण्डार । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016081
Book TitleDesi Shabda Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherUniversity Granth Nirman Board
Publication Year1974
Total Pages1028
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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