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________________ ओरिल्ल-ओरिल्ल-अवारिल्ल (अव+आरात्+इल्ल अवारिल्ल-ओरिल्ल) - ननु अपचिर+इल्ल=अपचिरिल्ल-ओइरिल्ल-ओरिल्ल-मार:- ननु-यिरअनु नही ओड्ढण-ओड्ढण-अवगुण्ठन-ओगुट्टण-ओउहण-ओढण । अव+गुण्ठ+ अन । गुण्ठ वेष्टने । अवस्तरण (ष।०) स्तृआच्छादने । अवस्तार मान-शब्दकल्पद्रुम । ओइत्त-ओइत्त-अपवृत । ओवित्त-ओइत्त । अपवृती-अप+वृ+त । वृ वरणे अवकृत ____ अपवरक शब्द प्रसिद्ध छे. ओइत्तण-ओइत्तण-अपवृतत्वन-ओवित्तण-ओइत्तण । अपवृत+त्वन । गा० १५६-ओडड्ढ-ओडड्ढ-अपदग्ध । अप+दह्+त । दह् भस्मीकरणे । ओलथ-ओलत्थ-अपरक्त (ओरत्त-ओलत्त-ओलत्थ) अप+र +त । रज रागे । ओहत्त-ओहित्त-अवहित-ओहित-ओहित्त-ओहत्त । ओसन्न-ओसन्न-अवसन्न । ओलुंज-ओलुंज-अपलअ-(अपलञ्ज-ओलुंज)-अप+ल+अ । लज भर्सने (पृष।०) गा० १५७-ओहुड-ओहुड-अवफल (अवफल-ओहल-ओहुड) . अव+ फल । फल्+अ । फल निष्पत्तौ । म सफलतु सहल तेम लेनु विरोधी अवफल-ओहुड. अवस्फुल (अवस्फुल-ओप्फुल-ओहुड) स्फुल संचये स्फुरणे च । ड+लयोः ऐक्यं प्रसिद्धम् । ओहुर-ओहुर-अपधुर । अप-धुर । अपगता धुरा यस्य-५२। वनु. धुरा य मार-मभ२० सरभाव। विधुर श६ मलिंगा । धु हिंसायाम् । धु-क्विप् । धुर-आ शब्दकल्पद्रुम । ओवर 1 ओवर-ओघवार-(ओघवार-ओहवार-ओहवर-ओवर) ओवरस ओवरस 'स' मत्वर्थ सून्य छ, ओघवारस (ओघवार+स-ओह वारस-ओहवारस-ओवरस) ओघवार-ओघ समूह अने वार-समूह ओसुद्ध-ओसुद्ध-अपशुद्ध । अप+शुध्+त । शुध् शुद्धौ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016081
Book TitleDesi Shabda Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherUniversity Granth Nirman Board
Publication Year1974
Total Pages1028
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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