________________
परिवीढ–परिसजिअ पाइअसद्दमहण्णवो
५६५ परिवीढ न [परिपीठ] मासन-विशेष (भवि)। परिवेस सक [परि + विष ] परोसना। परिसंक अक [परि + शङला भय करना, परिवील सक [परि-पीडय] दबाना । परिवेसइ (सुपा ३८६)। कर्म. परिवेसिज्जइ डरना। वक्र. परिसंकमाण (सूत्र १, १०, संकृ. परिवीलियाण (पाचा २, १, ८, १)। (गाया १, ८)। वकृ. परिवेसंत, परि
२०)। परिवुड वि [परिवृत] परिकरित, वेष्टित
वेसयंत (पिंड १२०; सुपा ११; णाया परिसंकिय वि [परिशङ्कित भीत (पराह (गाया १, १४ धर्मवि २४ औपः महा)। परिवुत्थ वि [पर्युषित] १ रहा हुआ। २ परिवेस [परिवेश, प] १ वेष्टन, (गउड)। परिसंखा सक [परिसं + ख्या] १ अच्छी न. वास, निवास (गउड ५४०)। देखो २ मंडल, मेघादि से सूर्य-चन्द्र का वेष्टनाकार तरह जानना। २ गिनती करना। संकृ. परिवुसिअ।
मंडल; 'परिवेसो अंबरे फरुसवएगो' (पउम परिसंखाय (दस ७, १)।। परिवुद देखो परिवुड (प्राकृ १२)। ६६, ४७; स ३१२ टीः गउड)। परिसंवा स्त्री [परिसंख्या] संख्या, गिनती परिवुदि स्त्री [परिवृति] वेष्टन (प्राकृ १२)। परिवेसण न [परिवेषण] परोसना (स (पउम २, ४६, जीवस ४०; पव-गाथा परिवुमअ वि [पर्युषित] स्थित, रहा हुआः | १८७: पिंड ११६) ।
१३: तंद् ४ सण)। 'जे भिक्खू अचेले परिवुसिए' (पाचा १, ८, परिवेसणा स्त्री [परिवेषणा] ऊपर देखो परिसंग पुं[परिषङ्ग] संग, सोहबत (हम्मोर
७, १, १, ६, २, २)। देखो परिवुत्थ। (पिंड ४४५) । परिवसिअ वि [पर्युषित] गत, गुजरा हमा परिवेसि [परिवेशिन 1 समीप में रहने- परिसंग पुं [परिप्यङ्ग] प्रालिङ्गन (पउम (प्राचा २, ३, १, ३)। वाला (गउड)।
२१,५२)। परिवूढ वि [परिवृढ] समर्थ (उत्त ७, २)। परिव्वअ सक [ परि + व्रज.] १ समंताद् परिसंगय वि [परिसंगत] युक्त, सहित परिवूढ वि [परिवृद्ध] स्थूल (भास ८६ | गमन करना। २ दीक्षा लेना। परिव्वए; (धर्मवि १३)। उत्त ७, ६)।
परिवएज्जासि (सूस १, १, ४, ३; पि परिसंटव सक [परिर+स्थापया परिवूढ वि [परिवृद्ध] १ बलवान्, बलिष्ठ __४६०)।
संस्थापन करना । परिसंठवहु (ग्रा) (पिंग)। (दस ७, २३)। २ मांसल, पुष्ट (प्राचा २, परिव्वअ वि [परिवृत] परिवेष्टित, 'तारा- वकृ. परिसंठवित (उपपं ४३)। ४, २, ३)।
परिव्वनो विव सरयपुरिणमाचंदो' (वसु)। परिसंठविय वि परिसंस्थापित संस्थापित परिवूढ वि [परिव्यूढ] वहन किया हुआ, परिव्वअ वि [परिव्यय] विशेष व्यय (तंदु ३८)। ढोया हुआ; 'न चइस्सामि अहं पुण चिरपरि- (नाट-मृच्छ ७)।
परिसंठिय वि [परिसंस्थित] स्थित, रहा बूढं इमं लोह (धर्मवि ७)।
परिव्वय पुं [परिव्यय] खर्चा, खर्च करने हुा (महा) । परिवूहण देखो परिबूहण (राज)।
का धन (दस ३, १ टी)।
परिसंत वि [परिश्रान्त थका हुआ (महा)। परिवेढ सक [परि + वेष्ट] बेढ़ना, परिवह सक [ परि + वह ] वहन करना, परिसंथविय वि [परिसंस्थापित] पाश्वासित लपेटना । परिवेढइ (भवि) । संकृ परिवेढिय धारण करना । परिवहइ (संबोध २२)। (स ५६६)। (निचू १)।
परिव्वाइया स्त्री [परिव्राजिका] संन्यासिनी परिसक सक [परि + ध्वक 1 चलना, परिवेढ पुं[परिवेष्ट] वेष्टन, घेरा जा जग्गइ (णाया १८ महा)।
गमन करना, इधर-उधर घूमना । परिसक्कइ तो पिच्छइ सेवापरसुहडपरिवेढं' ( सिरि परिव्वाज (शौ)[ परि + व्राज ] संन्यासी
(उप ६ टी; कुप्र १७५)। वकृ. परिसकंत, ६३८)। (चारु ४६)।
परिसकमाण (काप्र ६१७ स ४१, १३६)। परिवेढाविय वि [परिवेष्टित] वेष्टित कराया परिवाजअ (शौ) पुं[परिव्राजक] संन्यासी
संकृ. परिसक्किऊण (सुपा ३१३)। कृ. हुआ (पि ३०४)। (पि २८७; नाट----मृच्छ ८५)।
परिसक्कियव्य (स १६२) । मारवाष्ट बढ़ा हुमा, घरा परिव्वाजिआ (शौ) देखो परिव्वाइया परिसक्कण न [परिष्वष्कण] परिभ्रमण (से हमा, लपेटा हुआ (उप ७६८टी धरण २० मा २०)।
५, ५५; १३, ५६, सुपा २०१)। पि ३०४)।
परिव्वाय देखो परिव्वाज (सूअनि ११२ परिसक्किअ वि [परिष्वष्कित] १ गत परिवेय अक [परि + वेप्] कांपना, । औप)।
(भवि)। २ न. परिक्रमरण, परिभ्रमण (गा 'कायरघरिणि परिवेयई' (भवि)।
परिव्वायग। [पारिव्राजक ] संन्यासी, परिवेल्लिर वि[परिवेल्लित] कम्पन-शील परिव्वायय । साधु (भग)।
परिस कर वि [परिष्वष्किन] गमन करने(गउड)।
परिव्वायय वि [परिव्राजक परिव्राजक- वाला (णाया १, १; पि ५६६) । परिवेव प्रक [परि + वेप] काँपना। वकृ. सम्बन्धी (कप्प)।
परिजिअ (प्रप) वि[परिष्वक्त] प्रालिंगित परिवेवमाण (आचा)।
परिस देखो फरिस - स्पर्श (गउड चारु ४२)।। (सण)।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org