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पाइअसहमहण्णवो
परिसड-परिसेह
डिज्ज भोला । ३ रखना परिसरसल्ल वि [ पर्षदती
परिसड अक[ परि + शट् ] उपयुक्त होना। परिसाड सक [ परि + शाटय] १ इधर• परिसिल्ल वि [पर्षद्वत् ] परिषद् वाला परिसडइ (प्राचा २, १, ६, ६) । उधर फेंकना । २ भरना। ३ रखनाः 'परिसा- (बह ३)। परिसडिय वि [परिशटित] सड़ा हुआ, डिज्ज भोगणं' (दस ५, १, २८)। परिसा- परिसील सक [परि + शीलय ] अभ्यास विनष्ट (गाया १, २; औप)।
डितिः भूका. परिसाडिसुः भवि. परिसाडिस्संति करना, आदत डालना। संकृ. परिसीलिवि परिसण्ह वि [परिश्वक्ष्ण सूक्ष्म, छोटा (से (प्राचा २,१०, २)।
(अप) (सण)। परिसाडणा स्त्री [परिशाटना] वपन, बोना परिमीलनपरिशीलना प्रयास परिसन्न वि [परिषण्ण] जो हैरान हुआ हो, (वव १)।
(रंभा; सण)। पीडित (पउम १७, ३०)। परिसाडणा स्त्री [परिशाटना] पृथक्करण
परिसीलिय वि [परिशीलित] अभ्यस्त परिसप्प सक [परि + सृप] चलना । | (सूअनि ७ २०)।
(सण)। परिसप्पेइ (नाट-विक्र ६१)। '' परिसाडि वि [परिशाटिन] परिशाटन-युक्त
परिसीसग देखो पडिसीसअ (राज)। (प्रोघ ३१)। परिसप्पि वि [परिसर्पिन] १ चलनेवाला परिसाडि वि [परिशाटि] परिशाटन, पृथ
परिसुक्क वि [परिशुष्क] खूब सूखा हुआ (कप्पू) । २ पुंस्त्री. हाथ और पैर से चलनेकरण (पिड ५५२)।
(विपा १, २, गउड)। वाला जन्तु-नकुल, सर्प आदि प्राणि
| परिसाडिय स्त्री [परिशातित] गिराया हुआ | परिसुण्ण वि [परिशून्य] खाली, रिक्त, सुन्न गण । स्त्री. णी (जीव २)। (दस ५, १,६६)।
(से ११, ८७)। परिसम देखो परिस्सम (महा)।
परिसाम अफ [शम् ] शान्त होना । परि- परिसुत्त वि [परिसुप्त सर्वथा सोया हा परिसमत्त वि [परिसमाप्त सम्पूर्ण, जो पूरा सामइ (हे ४, १६७) ।
.(नाट-उत्तर २३)। हुआ हो वह (से १५, ६५; सुर १५, परिसाम वि [परिश्याम] नीचे देखो | परिसुद्ध वि [परिशुद्ध] निर्मल, निर्दोष (उव; २५०)।
(गउड)।
| गउड)। परिसमत्ति स्त्री [परिसमाप्ति ] समाप्ति' परिसामल वि [परिश्यामल] कृष्ण, काला परिसुद्धि स्त्री [परिशुद्धि] विशुद्धि, निर्मलता पूर्णता (उप ३५७; स ५२)। (गउड)।
(गउड द्र ६५)। मिशिग वि पिरिममापिता जो समाप्त परिसामिअ वि [शान्त शान्त, शम-युक्त परिसन्न देखो परिसण (विसे २०५० किया गया हो, पूरा किया हुआ (विसे । (कुमा)।
सण)। ३६०२)। परिसामिअ वि [परिश्यामित] कृष्ण किया .
परिसुस (अप) सक [परि + शोषय ] परिसमाव सक [परिसम् + आप्] पूर्ण हुआ (गाया १, १)।
सुखाना । संकृ. परिसुसिवि (अप) (सण)। करना । संकृ. परिसमाविअ (अभि ११६)। परिसाव सक [ परि + स्रावय ] १ निचो
परिसूअणा स्त्री [परिसूचना] सूचना (सुपा परिसर [परिसर] नगर आदि के समीप ड़ना। २ गालना। संकृ. परिसाबियाण
३०)। का स्थान (प्रौप; सुपा १३० मोह ७६)। (प्राचा २,१,८,१)।
परिसेय ' [परिषेक] सेचन (प्रोघ ३४७)। परिसावि देखो परिस्सावि (बृह १)। परिसल्लिय वि [परिशल्यित] शल्य-युक्त (सण)।
परिसाहिय वि [परिकथित] प्रतिपादित, परिसेस पुं[परिशेष] १ बाकी बचा हुआ, परिसव सक [परि + स्त्र] झरना, टपकना । उक्त (सण)।
अवशिष्ट (से १०, २३; पउम ३५, ४०; गा
८८ कम्म ६, ६०)।२ अनुमान-प्रमाण का वकृ. परिसवंत (तंदु ३६ ४१)।
परिसिंच सक [ परि + सिच् ] सींचना।
परिसिंचिजा (उत्त २, ६)। वकृ. परिसिंच- एक भेद, पारिशेषानुमान (धर्मसं १८६६) परिसह [परिषह] देखो परीसह (भग)।
माण (गाया १,१)। कवकृ. परिसिञ्चमाण परिसेसिअ वि [परिशेषित] १ बाकी बचा परिसा स्त्री [परिषद्] १ सभा, पर्षद् (पाम: (कप्प; पि ५४२)।
हुआ (भग)। २ परिच्छिन्न, निर्णीतः प्रौप; उवा विपा १, १) । २ परिवार (ठा
परिसि? वि [परिशिष्ट] अवशिष्ट, बाकी 'डज्झसि डज्मसु कडसि ३, २-पत्र १२७)। बचा हुआ (प्राचा १, २, ३, ५)।
कडसु ग्रह फुडसि हिग्रन ता फुडसु । परिसाइ देखो परिस्साइ (राज)। परिसिढिल वि [परिशिथिल] विशेष शिथिल,
तहवि परिसेसिमो च्चिन परिसाइयाण देखो परिसाव । ढीला (गउड)।
सो हु मए गलिअसम्भावो' (गा ४०१)। परिसाड सक [परि + शाटय् ] १ त्याग | परिसित्त वि [परिषिक्त] १ सींचा हुआ परिसेह पुं [परिषेध] प्रतिषेध, निवारण करना । २ अलग करना । परिसाडेइ (कप्पा (गा १८५, सण)। २ न. परिषेक, सेचन 'पावट्ठाणाण जो उ परिसेहो, झारणज्झयणाभग) । संकृ. परिसाडइत्ता (भग)। (पएह १, १)।
ईणं जो य विही, एस धम्मकों (काल)।
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