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पाइअसद्दमहण्णवो
परिवाइय-परिवीइअ
परिवाइस वि परिवाचित] पढ़ा हुअा (पउम परिवारिअ वि [परिवारित] १ परितार- परि विचिट्ठ अक [परिवि + स्था] १ ३७, १५)।
संपन्न । २ वेथितः 'जहा से उडुवई चंदे उत्पन्न होना। २ रहना। परिविचिट्ठइ परिवाई स्त्री [परिवाद] कलंक-वार्ता, 'दइ- नक्खत्तपरिवारिए' (उत्त ११, २५ काल)। (प्राचा १, ४, २, २; पि ४८३)। यस ताव बता जणपरिवाई लई पत्ता' परिवाल देखो परिआल। परिबालइ (दे ६, | परिविच्छय वि[परिविक्षत सर्वथा छिन्न(पउम ६५, ४१)। ३५ टी)।
हत (सूम १. ३, १. २)। परिवाड सक चिटया १ घटाना, संगत परिवाल सक [परि + पालय् ] पालन परिविट्ठ वि [परिविष्ट] परोसा हुआ (स करना । २ रचना, निमोण करना । परिवाडेइ
करना । परिवालइ, परिकालेइ (भविः महा)। १८६, सुपा ६२३)। (हे ४, ५०)।
वकृ. परिवालयंत (सुर १, १७१)। संकृ. परिवित्तस प्रक [परिवि + त्रस 1 डरना। परिवालिय (राज)।
परिविनसंतिः परिवित्तसेजा (पाचा १, ६, परिबाडल देखो पारपाडल (गउड)। परिवाड स्त्री [परिपाटि] १ पद्धति, रीति
परिवाल देखो परिवार परिवार (गाया १, ८-११३१)।
परिवित्ति स्त्री परिवृत्ति] परिवर्तन (सुपा (विसे १०८५)। २ पंक्ति, श्रेरिण (उत्त १.
५८७)। ३२) । ३ क्रम, परंपरा (संवेह)। ४ सूत्रार्थपरिवाविय वि [परिवापित] उखाड़ कर
परिविद्ध वि [परिविद्ध] जो बिंधा गया हो वाचना, अध्यापन: थिरपरिवाडी पहियवको' फिर से बोया हुआ (ठा ४, ४)।
वह (सुपा २७०)। (धर्मवि ३६); 'एगत्थोहि वत्ति न करे परि- पारवाविया स्त्री परिवापिता] दीक्षा-विशेष
परिविद्धंस सक [परिवि + ध्वंसय] १ वाडिदाणमबि तासि' (कुलक ११)। फिर से महाव्रतों का प्रारोपण (ठा ४, ४)।
विनाश करना। २ परिताप उपजाना। परिवारिध विघटिता रचित (कमा)। परिवास पुं[दे] खेत में सोनेवाला पुरुष संक परिविटमिना )। परिवाडी देखो परिवाडि; 'परिवाडीयागयं व (दे ६, २६)।
परिविद्धत्थ पि [परिविध्वस्त] १ विनष्ट । हवइ रज्ज' (पउम ३१, १०६ पात्र)।
परिवास न [परिवासस् ] वस्त्र, कपड़ा : २ परितापित (सूम २, ३, १)।।
'जंधोख्यगुज्झंतरपासइँ सुनियत्थई मि झीण- परिविएफुरिय विपरिविस्फुरित] स्फूत्तिपरिवाद पुं परिवाद] निन्दा, दोष-कीर्तन
परिवासइँ (भवि)। (धर्मसं ६५४)।
युक्त (सण)। परिवादिणी स्त्री परिवादिनी] वीणा विशेष
परिवासि वि [परिवासिन् ] बसनेवाला । परिवियलिय वि [परिविगलित] चुना (राज)।
(सुपा ४२)।
। हुआ, टपका हुआ (सण)। परिवासिय वि [परिवासित] सुवासित, परिवियलिर वि [परिविगलित] झरनेवाला, परिवाय देखो परिवाद (कप्प; औप; पउम
सुगन्धयुक्त 'मयपरिमलपरिवासियदूर (भवि)। ६५, ६०; रणाया १, १, स ३२; आत्महि
चूनेवाला (सण)। १५)।
परिवाह सक [परि + वाय्] १ वन परिविरल वि [परिविरल] विशेष विरल परिवायग पुं[परिव्राजक] संन्यासो,
कराना। २ अश्वादि खेलाना, प्रवादि-क्रीड़ा परिवायय बावा, (सरण सुर १५, ५) ।
करनाः 'विवरीयसिक्खतुरयं परिवाहइ परिविलसिर वि [परिविलसित] विलासी
वाहियालीए' (महा)। परिवायणी स्त्री [परिवादनी] सात तांतवाली
(सरण)। वीणा (राय ४६)। परिवाह पूं [परिवाहन जल का उछाल, परिविस सक [परि + विश. 7वेष्ठन करना।
परिविसइ (प्राकृ ७५)। बहाव परिवार सक [परि + वारय] १ वेन ।
'भरिउच्चरंतपसरिअपिअसंभरणपिसुणो वराईए। पारावस सक पार + विष्] पसिना, करना । २ कुटुम्ब करना। वकृ. परिवारयंत
परिवादोविन खस्म वाटिनोबादो खिलाना । संकृ. परिविस्स (उत्त १४, ६)। (उत्त १३, १४)। संकृ. परिवारिया (सूम १, ३, २, २)।
(गा ३७७)। परिवियास पुं[परिविषाद] समन्तात् खेद
परिवाह पुंदे] दुविनय, अविनय (दे ६, (धर्मवि १२६)। परिवार [परिवार] गृह-लोक, घर के मनुष्य
२३)।
- परिविहुरिय वि [परिविधुरित अति पीड़ित, (प्रौपः महा: कुमा)। २ न. म्यान (पास)।
परिवाहण न [परिवाहन] प्रश्वादि-खेलन; मणिसंजुयदेविकरपरिविहुरिपो गयं मोत्त" परिवारण न [परिवारण] १ निराकरण 'प्रासपरिवाहणनिमित्तं गएण' (स ८१; (सुर (पराह १, १--पत्र १६)। २ पाच्छादन, __महा)।
। परिवीअ सक [परि + वीजय] पँखा ढकना (दे १,८६)।
परिविआल सक [परि + विश1 वेटन करना, हवा करना । परिवीएमि (स ६७)। परिवारिअ वि [दे] घटित, रचित (दे६, करना। परिविनालइ (प्राक ७५; धात्वा परिवाइज वि [परिवीजित] जिसको हवा ३०)।
की गई हो वह (उप २११ टी)।
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