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परिल्ल-परिवाइ
पाइअसहमहण्णवो परिल्ल देखो पर = पर (से ६, १७)। परिवट्ट देखो परिवत्त =परि + वर्तय । परि- परिवत्त देखो परिअत्त = परिवृत्त (काल)। परिल्लवास वि [दे] अज्ञात-गति (दे६, ३३)। बट्टइ (भवि)। संकृ. परिवट्टिवि (अप) | परिवत्तण देखो पडिअत्तण (पि २८९; परिल्ली देखो परिली = दे (राय ४६)। (भवि)।
नाट-विक्र ८३)। परिल्ली देखो परिली। वकृ. परिल्लिंत, परिवण न [परिवर्तन] आवर्तन, प्रावृत्तिः परिवत्तर (अप) वि [परिपक्त्रिम] पकाया परिल्लंत (मौप)। 'आगमपरिवट्टणं (संबोध ३६)।
गया, गरम किया गयाः अंगु मलेवि सुअंधापरिल्हस अक [ परि + संस् ] गिर पड़ना, परिवट्टि देखो परिवत्ति (मा ५२)। मोएं निमज्जिउ परिवत्तरतोएं' (भवि)।
सरक जाना । परिल्हसइ (हे ४, १९७)। परिवट्टिय देखो परिवत्तिय (भवि)। परिवत्ति वि [परिवर्तिन] बदलानेवाला, परिवइत्तु वि [परिवजित गमन करने में परिव टुल वि [परिवर्तुल] गोलाकार (स 'स्वपरिवत्तिणी विज्जा' (कुप्र १२६; महा)। समर्थ (ठा ४, ४-पत्र २७१)।
परिवत्तिय देखो परिअट्टिय (सुपा २६२)। परिवंकड (अप) वि [परिवक] सर्वथा टेढ़ा विधाता परिवड प्रक [ परि + पत् ] पड़ना। वकृ.
पारवड अक[ पार + पत् । प परिवत्थ न [परिवस्त्र] वन, कपड़ा (भवि)। (भवि)। परिवडंत, परिवडमाण (पंच ५, ६२, ६७;
परिवत्थिय वि [परिवनित] आच्छादित, परिवंच सक [परिवञ्चय ] ठगना। संकृ. उप पू ३)।
'उजलनेवच्छहत्य (?व्व) परिवत्थिय' (प्रौप)। परिवंचिऊण (सम्मत्त ११८)। परिवडिअ वि [परिपतित] गिरा हुआ (सुपा
देखो परिवच्छिय। परिवंचिअ वि [परिवञ्चित] जो ठगा गया
३६०, वसु; यति २३, हम्मीर ३०; पंचा ३, २४)।
परिवद्ध देखो परिवड्ढ। वकृ. परिवद्धमाण हो (दे ४, १८)। परिवडढ अक [परि + वृध् ] बढ़ना।
(राज)। परिवंथि वि [परिपन्थिन् विरोधी, दुश्मन परिवड्डइ (महाः भवि)। भवि. परिवड्डिस्सइ
परिवन्न देखो पडिवन्न (उप १३६ टो)। (पि ४०५, नाट-विक्र ७)।
(औप)। कृ. परिवडढंत, परिवडढमाण, परिवय अक [ परि+वत् ] तिर्यक् गिरना। परिवंदण न [परिवन्दन] स्तुति, प्रशंसा परिवड्ढेमाण (गा ३४६; णाया १, १३; परिवयंति (राय १०१)। (प्राचा)। महाः णाया १, १०)।
परिवय सक [परि + वद्] निन्दा करना। परिवंदिय वि [परिवन्दित] स्तुत, पूजित परिवडढण न [परिवर्धन] परिवृद्धि, बढ़ाव परिवएज्जा, परिवयंति (प्राचा)। वकृ. (पउम १, ६)। (गउड धर्मसं ८७५)।
परिवयंत (पएह १, ३)। परिवक्खिय देखो परिवच्छिय (प्रौप)। परिवढि स्त्री [परिवृद्धि] ऊपर देखो (से | परिवरिअ वि [परिवृत] परिकरित, वेष्टित परिवग्ग पुं [परिवर्ग] परिजन-वर्ग (पउम। ५.२) ।
(सुपा १२५)। २३, २४)।
परिवढि देखो परिअढिअ = परिवधिन परिवलइअ वि [परिवलयित] वेष्टित (सुख परिवच्छ न [दे] अवधारण, निश्चयः 'साम- (प्रौप १६ टि)।
१०,१)। पत्थ परिवच्छे' (कल्पगा० २१४२)।
परिवढिअ वि [परिवर्धित] बढाया हुआ परिवस अक [ परि + वस् ] बसना, रहना। परिवच्छिय देखो परिकच्छिया 'उजलनेवत्य- (गा १४२, ४२१) ।
परिवसइ, परिवसंति (भगः महाः पि ४१७) । हव्वपरिवच्छियं' (णाया १, १६ टी-पत्र पारवड्ढमाण देखा परिवड्ढेमाण देखो परिवड्ढ।
परिवसण न [परिवसन] आवास (राज)। २२१; प्रौप)। देखो परिवत्थिय । परिवण्ण सक [परि+वर्णय ] वर्णन
परिवसणा स्त्री [परिवसना] पयुषणा-पर्व परिवज सक [प्रति + पद्] स्वीकार करना। करना । कृ. परिवण्णेअव्य (भग)।
(निचू १०)। परिवज्जइ (वि)।
परिवण्णिअ वि [परिवर्णित] जिसका वर्णन परिवसिअ वि [पर्युपित] रहा हुआ, वास परिवज सक [ परि + वर्जय] परिहार किया गया हो वह (प्रात्म ७)।
किया हुभा (सण)। करना, परित्याग करना। परिवज्जइ (भवि)।
परिवत्त देखो परिअट्ट = परि + वृत् । परि- परिवह सक [ परि + वह ] वहन करना, संकृ. परिवज्जिय, परिवजियाण (प्राचा
त्तई (उत्त ३३, १)। परिवत्तसु (गा ८०७)। ढोना। २ अक चालू रहना। परिवहइ पि ५९२)। वकृ. परिवत्तंत (गा २८३)।
(कप्प) । परिवहति (गउड)। वकृ. परिवहंत परिवज्जण न [परिवर्जन] परित्याग (धर्मसं परिवत्त देखो परिअट्ट परि + वर्तय। वकृ. (पिंड ३५६) ।
परिवत्तेत, परिवत्तयंत (स, सूप १, ५, परिवहण न [परिवहन] ढोना (राज)। परिवजणा स्त्री [परिवर्जना] ऊपर देखो १, १५)। संकृ. परिवत्तिऊण (काल)। परिवा अक [परि+वा] सूखना। परिवाया (उव)।
परिवत्त देखो परिअट्ट= परिवर्तः 'विहियख्व- (गउड)। परिवन्जिय वि [परिवर्जित परित्यक्त (उवा; परिवत्तो (कुप्र १३४)। २ संचरण, भ्रमण | परिवाइ वि [परिवादिन] निन्दा करनेवाला भगः भवि)।
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