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पाइअसहमहण्णवो
परिदेवणया-परिपूर्णग
परिदेवणया स्त्री [परिदेवना] ऊपर देखो । (सूम १, ३, ३, २१)। ३ स्वस्थ (सुपा परिपिडिय वि [परिपिण्डित] १ एकत्र (ठा ४, १-पत्र १८८)। १८३)।
समुदित, इकट्ठा किया हुआ (पिंड ४६७) । परिदेवि वि [परिदेविन् विलाप करनेवाला बाला करनेवाला परिन्न देखो परिण (आचा)।
२ न. गुरु-वन्दन का एक दोष (धर्म २)। (नाट-शकु १०१)। परिन्न देखो परिण (आचा)।
परिपिक्क देखो परिपक्क (पि १०१)। परिदेविअ न [परिदेवित] विलाप (पाय:
परिन्ना देखो परिण्णा (उप ५२५) । परिपिज्जंत देखो परिपिअ । से ११, ६६; सुर २, २४१) ।
परिन्नाण देखो परिण्णाण (प्राता)। परिपिट्टण न [परिपिट्टन] पोटना, ताड़न
परिन्नाय देखो परिण्णाय = परिज्ञात (सुपा | (वव १)। परिदो अ [परितस् ] चारों ओर से (गा
२६२)।
परिपिरिया स्त्री [दे] वाद्य-विशेष (भग ५, ४५४ अ)।
परिन्नाय वि [प्रतिज्ञात] जिसकी प्रतिज्ञा की ४-पत्र २१६)। परिधम्म पुं[परिधर्म] छन्द-विशेष (पिंग)।
गई हो वह) (पिड २८१)।
परिपिल्ल सक [परिप्र + ईरय ] प्रेरणा। परिधवलिय वि[परिधलित] खूब सफेद परिपंडुर । वि [ परिपाण्डुर] विशेष परिपिल्लइ (सुपा ६४)। किया हुअा (सरण)।
परिपंडुल) पाण्डुर-धूसर वर्ण वाला (सुपा परिपिहा सक [परिपि+ धा] ढकना, परिधाम पुन [परिधामन] स्थान (सुपा २५६; कप्पू गउड; से १०, ३३)। आच्छादन करना। संकृ. परिपिहित्ता, ४६३)।
परिपंथग वि [प्रतिपथक] दुश्मन, विरोधी, परिपिहेत्ता (कप्पा पि ५८२)। परिधाविअ वि [परिधावित] दौडा हुआ | प्रतिकूल (स १०५)।
परिपीडिय वि [परिपीडित] जिसको पीड़ा (हम्मीर ३२)। परिपंथिअ । वि [परिपन्थिक] ऊपर देखो
पहुंचाई गई हो वह (भवि)। परिधाविर वि [ परिधावित ] दौड़नेवाला परिपंथिग , (स ७४६ उप ६३६)।
परिपील सक [ परि + पीडय] १ पीड़ना। (सण)। परिपक वि [परिपक्व पका हुमा (पव |
२ पीलना, दबाना । परिपीलेज्जा (पि परिधूणिय वि [परिधूनित] अत्यन्त कँपाया
२४०)। संकृ. परिपीलइत्ता, परिपीलिय, । ४ भवि)। हुप्रा (सम्मत्त १३६)।
परिपीलियाण (भग; राज; प्राचा २, १, परिपलिअ (अप) वि [परिपतित] गिरा परिधूसर वि [परिधूसर] धूसर वर्णवाला
८.१)। हुआ (पिंग)। (बज्जा १२८; गउड)। परिपाग पुं[परिपाक विपाक, फल'पुञ्च
परिपीलिअ देखो परिपीडिअ (राज)। परिनट्ठ वि [परिनष्ट] विनष्ट (महा)। भवविहिनसुचरिअपरिपागो एस उदयसंपत्तो'
परिपुंगल वि [दे] श्रेष्ठ, उत्तम (?); 'जंपइ परिनिक्खम देखो पडिनिक्खम । परिनिक्ख. (रयण ५२, प्राचा)।
भविसयतु परिपुंगलु होसइ रिद्धिविद्धि सुहमेइ (कप्प)। परिपाडल वि[परिपाटल] सामान्य लाल
मंगलु' (भवि)। परिनिट्टिय देखो परिणिट्रिअ (कप्पः रंभा
परिपुच्छ सक [परि + प्रच्छ ] प्रश्न रंगवाला, गुलाबी रंग का (गउड)। ३०)।
करना । परिपुच्छइ (भवि)। परिपाडिअ वि [परिपाटित] फाड़ा हुआ, परिनिय सक [ परि + दृश ] देखना, अव
परिपुच्छण न [परिप्रच्छन] प्रश्न, पृच्छा विदारित (दे ७,६१)। लोकन करना । वकृ. परिनियंत (सुपा
(वि)। परिपाल सक [परि + पालय् ] रक्षण ५२२)।
परिपुच्छिवि [परिपृष्ट] पूछा हुआ,
करना। परिपालइ (भवि)। कृ. परिपरिनिवि वि [परिनिविष्ट ] ऊपर बैठा
परिपुट्ठ जिज्ञासित (गा ६२३; भवि; पालणीअ (स्वप्न २६) । संकृ. परिपालिउं
सुपा ३८७)। हुमा (सुपा २६६)। (सुपा ३४२)।
परिपुण्ण। वि [परिपूर्ण] संपूर्ण ( भगः परिनिविड वि [परिनिविड] विशेष निबिड परिपालण न [परिपालन] रक्षण (कुप्र परिपुन्न । भवि)। या घना (महा)। २२६; सुपा ३०८)।
परिपुस सक [परि + स्पृश् ] संस्पर्श परिनिव्या देखो परिणिव्वा । परिनिब्वाइ परिपालिय वि [परिपालित] रक्षित (भवि)। करना । परिपुसइ (से ४, ५)। (भग), परिनिव्वाईति (कप्प)। भवि. परि- परिपासय [दे] देखो परिवास (दे) परिपूज सक [परि + पूजय] पूजता । निव्वाइस्संति (भग)। . (पाप)।
परिपूजउ (अप) (पिंग)। परिनिव्वाण देखो परिणिव्याण (णाया १, परिपिअ सक [परि + पा] पीना, पान परिपूणग पुं [दे. परिपूर्णक] पक्षि-विशेष
८ ठा १, १; भग; कप्प; पव १३८ टी)। करना। कवकृ. परिपिज्जत (नाट- का नीड, सुधरी नामक पक्षी का घोंसला परिनिव्वुअ । वि [परिनिवृत] १ मुक्त, चैत ४०)।
(विसे १४५४० १४६५)। परिनिव्वुड । मोक्ष को प्राप्त (ठा १,१; परिपिंजर वि [परिपिञ्जर] विशेष पीत- परिपूणग पुं[दे. परिपूर्णक] घी-दूध गालने पउम २०, ८४, कप्प)। २ शान्त, ठंढा रक्त वर्णवाला (गउड)।
। का कपड़ा, छानना (एंदि ५४)।
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