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५५४ पाइअसहमहण्णवो
परिघट्ट-परिच्छेअ परिघट्ट सक [परि + घट्ट] आघात करना। | परिचल सक [परि+चल] विशेष चलना। परिच्चाग, पुं [परित्याग] त्याग, मोचन कवकृ. परिघट्टिज्जत (महा)। परिचलइ (पिग)।
परिचाय (पंचा ११, १४, उप ७६२; परिघट्टण न [परिघट्टन] प्राघात (वजा परिचलिअ वि [परिचलित] विशेष चला| प्रौप, भग)। ३८)। हुअा (दे ५, ६)।
परिच्चाय वि [परित्याज्य] त्याग करने लायक, परिघट्टण न [परिघटन] निर्माण, रचना परिचारअ वि [परिचारक सेवा करनेवाला, 'अरणेवि असुहजोगा सोहिपयाणे परिचाया' (निचू १)।
सेवक (नाट-मालवि ६)। स्त्री. रिआ |
| (संबोध ५४)। परिघट्टिय वि [परिघट्टित] पाहत, ताडित (नाट) ।
परिच्चिअ वि[दे] उत्क्षिप्त, ऊपर फेंका हुमा (जीव ३)।
| परिचारणा स्त्री [परिचारणा] मैथुन-प्रवृत्ति परिघट्ट वि [परिघृष्ट] १ जिसका घर्षण (ठा ५, १)।
परिच्चिअ देखो परिचिय (उप १४२ टी)। किया गया हो वह, घिसा हुआ; 'मंदरयडपरि
| पाराचत सक पार + चिन्तय चिन्तन परिच्छ देखो परिक्ख, 'मणवयणकायगुत्तो घटुं' (हे २, १७४)। करना, विचार करना । परिचितइ, परिचिते।
सज्जो मरणं परिच्छिज्जा' (पञ्च ६८ पिंड परिघाय देखो परीघाय (राज)। (सण; उव)। कम. परिचितियइ (अप) (सण)।
३०), परिच्छंति (पिंड ३१)। परिघास सक [परि + घासय् ] जिमाना, |
| परिच्छग वि [परीक्षक परीक्षाकर्ता (धर्मसं भोजन कराना । हेकृ. परिघासेउं (प्राचा)।
परिचिंतिय वि [परिचिन्तित] जिसका परिघासिय वि [परिघर्षित] परिघर्ष-युक्त,
परिच्छण्ण! वि[परिच्छन्न] १ आच्छादित, चिन्तन किया गया हो वह (सण)। 'रयसा वा परिघासियपुव्वे भवति' (प्राचा २,
परिच्छन्न ढका हुआ (महा)। २ परिच्छद१, ३, ५)।
परिचितिर वि परिचिन्तयित] चिन्तन | युक्त, परिवार सहित (वव ४)। परिघुम्मिर वि [परिपूर्णित] शनैः शनैः करनेवाला (सण)।
परिच्छय वि [परीक्षक] परीक्षा करनेवाला काँपता हिलता, डोलता (पउम ८, २८३; गा
परिचिट्ठ अक [परि + स्था] रहना, स्थिति | (सम्म १५९)। १४८)। करना । परिचिट्ठइ (सण)।
परिच्छा स्त्री [परीक्षा] परख, जाँच,आजमाइश परिघेतव्व
परिचिय वि [परिचित] ज्ञात, जाना हुआ, (प्रोध ३१ भा; विसे ८४८ उप पृ १०८) । परिघेत्तव्य चिह्ना हुअा, पहिचाना हुआ (औप)।
परिच्छिअ देखो परिक्खिय (श्रा १६)। परिचुंब देखो परिउंब । परिचुंबिजमाण
परिच्छिद सक [परि + छिद्] निश्चय परिघेत्ता (प्रौप)। संकृ. परिचुंबिअ (अभि १५०)।
करना, निर्णय करना। २ काटना, काट परिघोल सक [परि + चूर्ण 1१ डोलना। परिचुंबण देखो परिउंबण (पउम १६, ७६)।
डालना। परिच्छिदइ (धर्मसं ३७१)। संकृ. २ परिभ्रमण करना । वकृ. परिघोलंत, परिचुंबिय वि [परिचुम्बित] जिसका चुम्बन
'परिच्छिदिय बाहिरगं च सायं निकम्मदंसी परिघोलेमाण (से १, ३३; औप, णाया १, किया गया हो वह, 'परिचुंबियनहरगं" (उप
इह मच्चिएहि' (प्राचा-टि: पि ५०६: ४–पत्र ६७)। ५६७ टी)।
५६१)। परिघोलण न [दे. परिघोलन] विचार (ठा
परिच्चअ सक [परि + त्यज ] परित्याग परिच्छिष्ण वि [परिच्छिन्न] १ काटा हुआ, ४, ४–पत्र २८३)। करना, छोड़ देना। परिचयइ, परिचग्रह
'नय सुहतएहा परिच्छिण्णा ' (पच्च ६५)। २ (महा; अभि १७७)। वक. परिच्चअंत (अभि । परिघोलिर वि [परिपूर्णित] डोलनेवाला
पारचअत (आभ निर्णीत; निश्चित (प्राव ४)।
१३७)। संकृ. परिचइअ, परिच्चज्ज, परिच्छित्ति स्त्री[परिच्छित्ति] १ परिच्छद, (गउड)। परिचअ देखो परियय = परिचय (नाट
परिचइऊण (पि ५६०; उत्त ३५, २
| निर्णय । २ परीक्षा, जाँच (उप ८६५) ।
राज)। हेकृ. परिच्चइत्तए, परिच्चत्तु (उवा; परिच्छिन्न देखो परिच्छिण्ण (स ५६६; शकु ७७)।
नाट)। परिचअ देखो परिश्चअ। संकृ. परिचइऊण,
सम्मत्त १४२)। परिच्चत्त वि [परित्यक्त] जिसका परित्याग परिच्छढ वि [दे. परिक्षिप्त १ उत्क्षिप्त परिचइय (महा)। किया गया हो वह (से ८, २०; सुर २;
। फेंका हुआ (दे ६, २५, नमि ६)।२ परिपरिचंचल वि [परिचश्चल] अतिशय चपल १२०; सुपा ४१८ नाट-शकु १३२)। त्यक्त (से १३, १७)। (वै १४)।
परिचयण न [परित्यजन] परित्याग (स परिच्छेअ पु [परिच्छेद] निणंय, निश्चय परिचत्त देखो परिश्चत्त (महा प्रौप)। ३३)।
(विसे २२४४, स ६६७)। परिचरणा स्त्री [परिचरणा] सेवा, भक्ति परिचाइ वि [परित्यागिन् परित्याग करने- परिच्छेअ वि [दे. परिच्छेक] लघु, छोटा (सुपा १५६)। वाला (प्रौपः अभि १४०)।
(प्रौप)।
परिघेतं
देखो परिगेण्ह ।
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