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पाइअसहमहण्णवो
पराहुत्त-परिअत्तमाणी पराहुत्त वि[पराभूत] अभिभूत, हराया याद करना । ३ फिराना, घुमाना। परियट्टइ, परिअड्डिअ वि [दे] प्रकटित, व्यक्त किया पराहू" हुआ (उप ६४८ टी पान)।
परियट्टेइ (भविः उव)। हेकृ. 'परियट्टिउ- हपा (षड्)। परि अ [परि] इन अर्थो का सूचक अव्यय- माढत्तो नलिणीगुम्मं ति अज्झयणं' (कुप्र परिअड्ढ अक [परि + वृध् ] बढ़ना, १ सर्वतोभाव, समंतात्, चारों ओर (गा २२; १७३)।
'परिप्रदुइ लायएणं' (हे ८, २२०)। सूत्र १,६)। २ परिपाटी, क्रम (पिंग)। परिअट्ट सक [परि + अट् ] परिभ्रमण परिअड्ढ सक [परि + वर्धय ] बढ़ाना ३ पुनः पुनः; फिर फिर (पराह १,१;
करना, घूमना । परिमट्टर (हे ४, २३०)। (हे ४; २२०)। श्रावक २८४) । ४ सामीप्य, समीपता: संकृ. परियट्टिवि (अप) (भवि)। परिअड्ढि स्त्री [परिवृद्धि] विशेष वृद्धि (गउड ७७६)। ५ विनिमय, बदला; 'परि
परिअट्ट पुंदे] रजक, धोबी (दे६.१५)। (प्राकृ २१)। यारण' = परिदान ( भवि)। ६ प्रतिशय,
परिअट्ट पुं[परिवर्त] १ पलटाव, बदला। पारआड्ढअ वि [परिवधिन्, का बढ़ानेविशेष (स ७३४) । ७ संपूर्णताः परिट्टिन'
वाला, 'समणगणवंदपरियड्डिए (औप)। (पव ६६)। ८ बाहरपन (श्रावक २८४)। २ समय का परिणाम-विशेष, अनन्त उत्सर्पिणी
परिअडिढअ वि [पर्याध्यक] परिपूर्ण
और अवसर्पिणी काल (विपा १,१; सुर १६, ६ ऊपर (हे २, २११; सुपा २६६)।१०
(प्रौप)। शेष, बाकी । ११ पूजा। १२ व्यापकता । १४५, पव १६२)।
परिअडिढअ वि [परिकर्षिन्, क खींचने१३ उपरम, निवृत्ति । १४ शोक । १५ परिअट्टग वि [परिवर्तक] परिवर्तन करने
वाला, आकर्षक (प्रौप)। किसी प्रकार की प्राप्ति । १६ पाख्यान । १७ वाला (निचू १०)।
परिअड्ढि वि [परिकृष्ट] खोंचा हुअा, संतोष-भाषण । १८ भूषण, अलंकरण । परिअट्टण न [परिवर्तन] १ पलटाव, बदला
प्राकृट; 'जस्स समरेसु रेहइ हयगयमयमिलिय१६ आलिंगन । २० नियम । २१ वर्जन, करना (पिंड ३२४ वै ६७)। २ द्विगुण,
परिमलुग्गारा । दढपरियड्डियजयसिरिकेसप्रतिषेध (हे २, २१७, भवि; गउड)। २२ त्रिगुण आदि उपकरण (प्राचा १, २, १,
कलावो व्य खग्गलया' (सुपा ३१)। निरर्थक भी इसका प्रयोग होता है (गउड
परिअण पुं[परिजन] १ परिवार, कुटुम्ब, १०; सण)। परिअट्टणा श्री [परिवर्तना] १ फिर फिर |
पुत्र-कलत्र आदि पालनीय वर्ग। २ अनुचर, परि देखो पडि%= प्रति (ठा ५, १-पत्र होना (पएह १,१) । २ आवृत्ति, पठित
अनुगामी (गा २८३; गउड पि ३५०)। ३०२; पएण १६-पत्र ७७४, ७८१)। पाठ का प्रवर्तन (ग्राचा २,१, ४, २, उत्त |
परिअन्त देखो परिअंत - श्लिष् । परिप्रत्तइ परि स्त्री [दे] गीति, गीत (कुमा)। २६, १, ३०, ३४, प्रौप; ठा ५, ३)। ३ |
(हे ४, १६० टो)। द्विगुण आदि उपकरण (पि २८६) । ४ बदला
परिअत्त देखो परिअट = परि + वृत् । परिपरि सक [क्षिप् ] फेंकना । परिद (षड् )।
करना (पिंड ३२५)।
यत्तइ (भवि); 'नडुब्व परिअत्तए जीवो परिज सक [परि + भञ्ज ] भाँगना,
परिअट्टय वि [पर्यटक] परिभ्रमण करने- (वै ६०), परियत्तए ( उवा) । वकृ. परियतोड़ना। परिजइ (धात्वा १४३)। वालाः 'मेरुगिरिसययपरियट्टय' (कप्प ३६)।। त्तमाण (महा)। परिअंत सक [श्लिप्] १ प्रालिंगन करना।
परिअट्टलिअ वि[दे] परिच्छिन्न (दे ६, परिअत्त देखो परिअट्ट = परि + वर्तम् । संकृ. २ संसर्ग करना । परिअंतइ (हे ४, १९०)।
परियत्तेउ (तंदु ३८)। परिअंत देखो पज्जत (पराह १, ३; पउम ६५,
परिअत्त देखो परिअट्ट = परिवर्त (प्रौप)। परिअट्टविअ वि [दे] परिच्छिन्न (षड् )। १६ सूत्र २, १, १५)। परिअंतणा स्त्री [परियन्त्रगा] अतिशय परिअट्टिय वि [परिवर्तित] बदलाया हुआ |
परिअक्त-वि [दे] प्रसृत, फैला हुआ; 'सव्वायन्त्रणा (नाट-मालती २८)। (ठा ३, ४; पिंड ३२३, पंचा १३, १२)।
सणरिउसंभवहो करपरिपत्ता ता' (हे ४, देखो परिअत्ति।
३९५)। परिअंतिअ वि [श्लिष्ट प्रालिंगित (कुमा)। परिअंभिअ वि [परिजांम्भत विकसित (से |
परिअड सक [ परि + अट् ] परिभ्रमण परिअत्त वि [परिवृत्त] पलटा हुआ (भवि) ।
करना। परिअडंति (श्रावक १३३)। वकृ. परिअत्तण देखो परिअट्टण (गउड), २, २०)। परियडंत (सुर २, २)।
'चाइयणकरपरंपरपरियत्तरणखेयवसपरिस्संता। परिअटक [परि + वृत] पलटना, बद-परिक्षण न पर्यटन 1 परिभ्रमण (स | अत्था किविणघरत्था सुत्थावत्था सुयंति व्व' लना । वकृ. दिट्ठो अपरिअटुंतीए सहया११४)।
(सुपा ६३३)। रच्छायाए एसो' (कुप्र ४५; महा), परियट्ट
परिअडि स्त्री [दे] १ वृति, बाड़। २ वि. परिअत्तणा देखो परिअट्टणा (राज)। माण (महा)। मूर्ख, बेवकूफ (दे ६, ७३)।
परिअत्तमाण देखो परिअत्त । परिअट्ट सक[परि + वर्तय] १ पलटाना, परिअडिअ वि [पर्यटित] परिभ्रान्त, भटका | परिअत्तमाणी स्त्री [परिवर्तमाना] कमबदलाना । २ प्रावृत्ति करना, पठित पाठ को हुमा (सिक्खा १७)।
प्रकृति-विशेष, वह कम-प्रकृति जो अन्य प्रकृति
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